आज नवमी तिथि पर कन्या पूजन के साथ ही शारदीय नवरात्र का समापन हो गया है और कल यानी 05 अक्टूबर को दशहरा मनाया जाएगा।
अधर्म पर धर्म की जीत का ये दिन लोग बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं और जगह-जगह पर रावण के पुतले का दहन किया जाता है। इस दिन को लेकर कई मान्यताएं हैं और इन्हीं में से एक मान्यता है कि घर में रावण की अस्थियां लाना बेहद शुभ होता है। इसलिए अक्सर देखने में आता है कि लोग रावण दहन होने के बाद पुतले के बचे हुए अवशेषों को अपने घर लेकर जाते हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि इसके पीछे का कारण क्या है। तो चलिए जानते हैं इस बारे में विस्तार से।
इस कथा से जुड़ी है रावण की अस्थियां घर लाने की परंपरा
प्रचलित पौराणिक कथा के अनुसार, जब भगवान श्री राम ने रावण का वध करके लंका पर विजय प्राप्त कर ली थी, तब उनकी सेना रावण वध और लंका पर विजय प्राप्ति के प्रमाण स्वरूप लंका की राख अपने साथ ले आई थी। यही वजह है कि लोग आज भी लंका और रावण दहन के बाद अवशेषों को अपने घर ले जाते हैं।
क्या कहती हैं मान्यताएं
पौराणिक ग्रंथों में जानकारी मिलती है कि स्वर्ग के कोषाध्यक्ष कुबेर रावण के भाई थे, और उन्होंने ही स्वर्ण की लंका बनाई गई थी, जिसमें रावण निवास करता था। इसलिए माना जाता है कि रावण की अस्थियां व लंका अवशेषों को घर में लाने से धन-धान्य की कमी नहीं रहती है और धन कोषाध्यक्ष कुबेर के द्वारा बनाई गई लंका के अवशेष घर में रखने से स्वयं कुबेर वास करते हैं, जिससे घर में धन स्थाई रूप से टिका रहता है।
नकारात्मक ऊर्जा रहती है दूर
रावण के ज्ञान की प्रशंसा स्वयं भगवान श्री राम ने भी की थी और यही वजह थी कि उन्होंने अपने छोटे भ्राता लक्ष्मण को मृत्यु शैय्या पर लेटे रावण से ज्ञान लेने को को कहा था। कहा जाता है कि आज तक को रावण जैसा महाज्ञानी, पराक्रमी नहीं है। इसलिए मान्यता है कि यदि घर में रावण की अस्थियां हो तो भय से मुक्ति मिलती है और नकारात्मक ऊर्जा नहीं आती है।