कर्नाटक में भाजपा की सरकार जाने से लेकर काफी उठापटक कर वापस आने के बाद लगा था कि अब भाजपा में अंदरूनी लड़ाई खत्म होगी। लेकिन लगता है कहीं न कहीं तार उलझे हैं। संभवत: यही कारण है कि एक तरफ जहां कोरोना के प्रकोप में कर्नाटक बुरी तरह फंसा है, वहीं पार्टी के कुछ खेमे की ओर से नेतृत्व परिवर्तन को लेकर भी कवायद शुरू हो गई है। दूसरी तरफ मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने करारा जवाब देते हुए परोक्ष रूप से बताया है कि उनके खिलाफ काम कर रहे विधायकों व नेताओं को पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने सख्त संदेश देकर खाली हाथ लौटा दिया है। उनका यह कहना ही संकेत है कि पार्टी के अंदर खेमेबाजी अब भी जारी है।
येदियुरप्पा ने कहा-कुछ लोग शिकायत लेकर दिल्ली गए गए थे, उन्हें लौटा दिया गया
गौरतलब है कि प्रदेश में भाजपा के पास फिलहाल येदियुरप्पा का कोई विकल्प नहीं है। जातिगत समीकरण के लिहाज से भी और पार्टी के अंदर समर्थन के कारण भी। फिर भी अंदरूनी कलह इतनी है कि येदियुरप्पा के कुछ मंत्री भी उनके खिलाफ बयानबाजी करते रहे हैं।
हाल में जिंदल स्टील को 3,300 एकड़ जमीन की बिक्री को लेकर हंगामा मच गया था। विरोधी दलों की ओर से कम, पार्टी के अंदर ज्यादा। हालांकि यह जमीन देने का फैसला पूर्ववर्ती कुमारस्वामी सरकार के काल में हुआ था। लेकिन राज्य में सरकार परिवर्तन और कुछ अन्य कारणों से यह रुका था। लेकिन जमीन देने की बारी आई तो भाजपा के कुछ विधायकों ने ही भ्रष्टाचार का विषय उठा दिया।
केंद्रीय नेतृत्व तक इसकी शिकायत कर दी। हालांकि येदियुरप्पा ने उन्हें समझाने की कोशिश की कि जमीन देने का फैसला पूर्ववर्ती सरकार ने भी 10-12 साल पहले हुए समझौते के तहत किया था। इसकी संभावना बरकरार है कि जिंदल कोर्ट जाए। फिर भी मुख्यमंत्री ने यह फैसला वापस ले लिया। पर विवाद खत्म नहीं हुआ।
पार्टी के कुछ खेमे की ओर से चल रही नेतृत्व परिवर्तन को लेकर कवायद
ऐसे में जब येदियुरप्पा से विवाद के मुद्दे पर सवाल किया गया तो उन्होंने भी करारा हमला किया और कहा, मेरी प्राथमिकता है कोरोना से लड़ाई। जनता को मुसीबत से बचाना। मुझे जानकारी मिली है कि कुछ लोग दिल्ली गए थे, लेकिन उन्हें वापस लौटा दिया गया। येदियुरप्पा का यह बयान बहुत कुछ कहता है। मुख्यमंत्री और नेतृत्व को भी यह अहसास है कि पार्टी में फिलहाल उनका कोई विकल्प नहीं है। लेकिन शायद यह आशंका भी है कि केंद्रीय नेतृत्व के मन में गलतफहमी बिठाई जा सकती है। वैसे येदियुरप्पा के लिए अच्छी बात यह है कि लंबे समय से उनके प्रबल विरोधी रहे ग्रामीण विकास मंत्री के एस ईश्वरप्पा ने भी माना है कि प्रदेश में मुख्यमंत्री का बदलाव संभव नहीं है।