भोपाल। जिस न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की दुहाई देकर मोदी सरकार की नीतियों के खिलाफ महीनों से आंदोलन चलाया जा रहा है, उसी से किसानों ने मुंह मोड़कर बाजारों का रुख करना शुरू कर दिया है। अच्छी कीमत, त्वरित भुगतान और लॉकडाउन में आर्थिक जरूरतों को देखते हुए किसान सरकारी खरीद केंद्रों के बजाय बाजार में उपज बेच रहे हैं। मध्य प्रदेश में इस साल दलहन की खरीदी के आंकड़े चौंकाते हैं, साथ ही किसानों में बढ़ती आत्मनिर्भरता की हकीकत बयां करते हैं।
मप्र में दलहन की समर्थन मूल्य पर खरीद के आंकड़े चौंकाने वाले
दरअसल, खेती में अब नई पीढ़ी भी हाथ आजमा रही है।
इसी प्रकार इस साल 51435 किसानों ने 14 लाख 21 हजार 800 क्विंटल चना बेचा। इसमें पिछले साल का आंकड़ा दो लाख 62 हजार 797 किसान और बिक्री 70 लाख 13 हजार 160 क्विंटल था। खुले बाजार में किसानों को अधिक दाम मिलने से एमएसपी पर उनकी निर्भरता कम हुई है।
चना और मसूर का एमएसपी 5100 और सरसों का 4650 रुपये प्रति क्विंटल है। एक कारण यह भी- खुले बाजार में दाम बढ़ने की एक वजह कोरोना संक्रमण से बचने के लिए लोगों में रोग प्रतिरोधक क्षमता को लेकर आई जागरूकता भी है। प्रोटीन के लिए लोगों के खाने में दालों का उपयोग बढ़ा है। इससे खुले बाजार में इनके दाम एमएसपी से ज्यादा हैं।