नई दिल्ली. भारत में कोरोना के नए मामलों (New Covid Cases) में लगातार कमी आती दिख रही है. रिकवर हो रहे मरीजों की संख्या बीते कुछ दिनों से लगातार ज्यादा आ रही है. देश के कई प्रभावित राज्यों से नए मामले कम आते दिख रहे हैं. बीते 21 अप्रैल के बाद पहली बार देश में सोमवार को तीन लाख से कम नए मामले सामने आए हैं. हालांकि इस दौरान कोरोना से होने वाली मौतों का आंकड़ा वैसा ही बना हुआ है. क्या ये आंकड़े पूरी तरह भरोसे के योग्य हैं?
एक्सपर्ट्स का कहना है कि अभी कोरोना की दूसरी लहर को लेकर कोई जल्दीबाजी नहीं करनी चाहिए. जिस तरह से इस बार संक्रमण फैला है वैसी स्थिति में अभी कोई भी बात निर्णायक तौर पर नहीं कही जा सकती. कहा जा रहा है कि कई राज्य हैं जहां पर केस कम हुए हैं लेकिन कई राज्यों में ये बढ़ भी रहे हैं. इसलिए पूरे देश के आंकड़ों को आधार बनाकर ये कहना है कि कोरोना कमजोर पड़ने लगा है, सही नहीं है.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
टाइम्स ऑफ इंडिया पर प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक एक्सपर्ट्स का नए मामलों में कमी को लेकर एक संदेह टेस्टिंग की संख्या पर भी है. इनका कहना है कि महामारी अब गांवों का रुख कर चुकी है और वहां पर टेस्टिंग और ट्रेसिंग जैसी सुविधाएं शहरों की तरह नहीं हैं. इस वजह से वास्तविक आंकड़ों पर पहुंचना आसान नहीं है. तकरीबन 1.35 अरब आबादी वाले देश की दो तिहाई जनसंख्या गांवों में ही रहती है. अमेरिका में मायो क्लीनिक में प्रोफेस ए.विन्सेंट राजकुमार ने ट्विटर पर लिखा है कि भारत में नए मामलों में कमी एक भ्रम है.ग्रामीण इलाकों में टेस्टिंग की कमी, सही संख्या नहीं आ रही सामने
उनका कहना है कि ग्रामीण इलाकों में टेस्टिंग की कमी होने के कारण संख्या का सही तरीके पता नहीं चल पा रहा है. कंफर्म मामले तभी सामने आएंगे जब टेस्टिंग होगी लेकिन ग्रामीण इलाकों में इसकी संख्या बेहद कम है. ग्रामीण इलाकों में कोरोना के खिलाफ लड़ाई देश में सरकारों के सामने एक बड़ा चैलेंज है.
बड़े शहरों में भी टेस्टिंग की समस्या
यहां तक कि बड़े शहरों में भी कोविड टेस्टिंग करवा पाना इस वक्त एक मुश्किल काम बन गया है. जहां पहले एक दिन में नतीजे आ जाया करते थे अब उनमें ज्यादा वक्त लग रहा है. कई लोगों में टेस्ट रिजल्ट के पहले ही लक्षण उभर कर सामने आ जाते हैं. बीते महीने जहां नए मामलों की संख्या बहुत तेज बढ़ी वहीं टेस्टिंग की संख्या में महज 1.6 फीसदी की बढ़ोतरी हुई.