भुवनेश्वर, 12 मई: कोरोना महामारी की दूसरी लहर से ओडिशा भी प्रभावित है, जिस वजह से राज्य सरकार कड़े कदम उठा रही है। जिसके तहत अब मेडिकल ऑक्सीजन और उसके कंटेनरों का विनिर्माण और रिफिलिंग ओडिशा औद्योगिक नीति संकल्प (IPR) -2015 की प्राथमिकता सूची में शामिल किया जाएगा। जिससे राज्य को काफी लाभ मिलने की उम्मीद है।
ओडिशा सरकार अब राज्य में चिकित्सा ऑक्सीजन के उत्पादन को प्रोत्साहित करेगी। साथ ही चिकित्सा ऑक्सीजन और इसके कंटेनरों के विनिर्माण के लिए विभिन्न लाभों की पेशकश करेगी। यह कदम कोविड -19 से लड़ने के लिए राज्य की तैयारियों का हिस्सा है। आईपीआर -2015 में संशोधन के संबंध में एक प्रस्ताव को सोमवार को मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की अध्यक्षता में राज्य मंत्रिमंडल ने मंजूरी दे दी।
राज्य के उद्योग सचिव हेमंत शर्मा ने कहा कि तीन श्रेणियों की इकाइयां आईपीआर -2015 में संशोधन के कारण लाभ उठा सकती हैं। इनमें मेडिकल ऑक्सीजन के विनिर्माण, ऑक्सीजन सिलेंडर के निर्माता, वाल्व, नियामक और ऑक्सीजन सिलेंडर रिफिलिंग इकाइयों जैसे संबंधित उपकरण शामिल हैं। शर्मा ने आगे कहा कि प्रोत्साहन में रियायती दर पर जमीन और अन्य लेनदेन पर स्टांप शुल्क में छूट, एसजीएसटी की पूंजी निवेश और बिजली पर 200% तक की छूट शामिल है।
वहीं उद्योग सचिव ने कहा कि कालाहांडी, नुआपाड़ा, बलांगीर, सोनेपुर, कोरापुट, मलकानगिरी, रायगडा, नबरंगपुर, कंधमाल, गजपति और मयूरभंज जैसे 11 औद्योगिक रूप से पिछड़े जिलों में आने वाले प्लांट के लिए अतिरिक्त लाभ होगा। राज्य में अपनी इकाइयों को स्थापित करने के लिए अधिक से अधिक निर्माताओं को आकर्षित करने के लिए प्रोत्साहन प्रदान किया जाता है। मेडिकल ऑक्सीजन और उसके कंटेनरों के विनिर्माण और रिफिलिंग को बढ़ावा देने के लिए आईपीआर -2015 में संशोधन के बारे में आधिकारिक अधिसूचना एक या दो दिन में जारी की जाएगी।