यूपी के शहर के साथ साथ गांव वालों को भी बैंक व एटीएम आदि के जरिए होने वाली धोखाधड़ी से आगाह किया जाएगा। साथ ही उन्हें सुरक्षित डिजिटल लेन देन के बारे में जागरूक किया जाएगा। इसके लिए 2024 तक सभी ब्लाकों में वित्तीय साक्षरता केंद्र खोले जाएंगे। राज्य में अभी हर तीन ब्लाक पर एक वित्तीय साक्षरता केंद्र खोला जाएगा। रिजर्व बैंक ने अपने इस पायलट परियोजना को सभी ब्लाकों तक विस्तार देने की योजना बनाई है। इन केंद्रों पर बैंक से जुड़े अधिकारी इंटरनेट बैंकिंग, मोबाइल बैंकिंग, यूपीआई व आरटीजीएस माध्यमों के सुरक्षित उपयोग के बारे में जागरुक करेंगे। इन केंद्रों का खर्च रिजर्व बैंक की परियोजना लागत जमाकर्ता शिक्षा जागरुकता कोष या नाबार्ड के कोष से होगा। अभी 132 ब्लाकों में वित्तीय साक्षरता केंद्र बनने हैं। इसके संचालन के लिए क्रिसिल व आईएसएमडब्लू एजेंसी का चयन कर लिया गया है। असल में कोविड 19 की प्रतिकूल परिस्थितियों को देखते हुए वित्तीय साक्षरता केंद्र व्यापक रूप से खोलने का निर्णय लिया गया। इसके तहत जनता के बीच डिजिटल चुनो सुरक्षा के साथ अभियान चलाया जाएगा। इसका मकसद लोगों को सुरक्षित बैंकिंग और वित्तीय व्यवहार के प्रति जागरुक करना है। इसमें डिजिटल लेन देन में सुरक्षा, सुविधा पर खास जोर दिया गया है। साथ ही उपभोक्ताओं के हित भी सुनिश्चित किए जाते हैं।
स्कूल लिए जाएंगे गोद
इसके अलावा बैंकों द्वारा स्कूल के छात्र छात्राओं के बीच जागरुकता के लिए बैंक चैम्प्स प्रोग्राम शुरू होगा। इसके तहत बैंक अपनी सभी शाखाओं के जरिए एक एक विद्यालय को अंगीकृत करेंगे। और छात्रों को सुरक्षित बैंकिंग अपनाने के बारे में बताएंगे। डिजिटल लेनदेन, सुरक्षित बैंकिंग सेवाओं का उपयोग, बीमा, निवेश व बाजार जोखिम के बार में अवगत कराया जाएगा ताकि लोग अपनी जमा पूंजी का सुरक्षित निवेश कर सकें और किसी तरह की गड़बड़ी से बच सकें। ग्रामीणों को बचत के लिए प्रोत्साहित करने व सही तरीके से संचालित वित्तीय संस्थाओं से ही कर्ज लेने की सलाह दी जाएगी।