सूरत, 7 मई। दिल्ली के नामी बड़े अस्पताल में कोविड के मरीजों में जानलेवा म्यूक्रोमाइकोसिस या ब्लैक फंगस इंफेक्शन मिलने के बाद अब गुजरात में भी इसने कोविड मरीजों को अपना शिकार बनाया है। राज्य में कोविड-19 से ठीक हो चुके कई मरीजों में ये खतरनाक इंफेक्शन पाया गया है। ऐसे मामलों की संख्या बढ़ती जा रही है।
रिपोर्ट के मुताबिक अभी तक सूरत में कोरोना वायरस से रिकवर होने के बाद कम से कम 8 लोग म्यूक्रोमाइकोसिस के चलते अपनी आंखों की रोशनी खो चुके हैं। अचानक से आंखों की रोशनी जाने के चलते इन सभी को अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
पिछले 15 दिनों में सूरत में म्यूक्रोमाइकोसिस या ब्लैक फंगस के कम से कम 40 मामले सामने आए हैं। इनमें ये 8 लोग भी हैं जिन्होंने अपनी दृष्टि खोई है।
कोविड-19 के चलते होने वाला यह इंफेक्शन काफी खतरनाक है। अगर इसका इलाज न किया जाए या फिर इलाज करने में देरी होने पर यह आंखों की रोशनी जाने की वजह बनता है और कई मामलों में रोगियों की मौत भी हो जाती है।
अमेरिका के सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) के अनुसार म्यूक्रोमाइकोसिस या ब्लैक फंगस एक फंगल संक्रमण है। यह एक गंभीर संक्रमण है जो श्लेष्म या कवक के समूह के कारण होता है जिसे श्लेष्माकोशिका कहा जाता है।
यह आमतौर पर हवा से फंगल बीजाणुओं को बाहर निकालने के बाद साइनस या फेफड़ों को प्रभावित करता है। यह त्वचा पर घाव लगने, जलने या अन्य प्रकार की त्वचा की चोट के बाद भी हो सकता है।
एक व्यक्ति कोविड -19 संक्रमण से उबरने के दो-तीन दिन बाद श्लेष्मा या ब्लैक फंगस के लक्षण दिखाई देते हैं। इसमें नाक बंद होना, आंखों या गालों में सूजन और नाक में काली पपड़ी पड़ना शामिल है।
यह फंगल संक्रमण सबसे पहले साइनस में तब होता है जब रोगी कोविड -19 से ठीक हो जाता है और लगभग दो-चार दिनों में यह आंखों पर हमला करता है। अगले 24 घंटे में यह ब्लैक फंगस आपके दिमाग तक पहुंच सकता है।
डॉक्टर के मुताबिक कि आमतौर पर यह ब्लैक फंगस उन रोगियों में होता है जो कोविड-19 से उबर गए हैं लेकिन उनकी प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है। ऐसे रोगियों पर भी खतरा ज्यादा है जिन्हें मधुमेह, किडनी या दिल या कैंसर जैसी गंभीर समस्या भी थीं।