आज संसद के शीतकालीन सत्र का तीसरा दिन था। तीसरा दिन भी काफी हंगामेदार रहा। किसानों के मुद्दे पर दोनों सदनों में विपक्ष लगातार शोर-शराबा करता रहा। इसके अलावा 12 सांसदों की निलंबन को लेकर भी विपक्ष का सरकार के खिलाफ हल्ला बोल जारी है। राज्यसभा की कार्यवाही बार-बार बाधित हुई जबकि लोकसभा में कामकाज जरूर हुआ। चलिए आज के दोनों सदनों की कार्यवाही के बारे में आपको बताते हैं।
कांग्रेस नेता मनीष तिवारी और कुछ अन्य सदस्यों ने आंदोलनकारी किसानों की मांगों से जुड़ा मुद्दा बुधवार को लोकसभा में उठाया और कहा कि सरकार को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी देने समेत अन्य मांगें स्वीकार करनी चाहिए। सदन में शून्यकाल के दौरान विभिन्न सदस्यों ने जनहित के अलग-अलग मुद्दे उठाए। मनीष तिवारी ने किसान आंदोलन का मुद्दा उठाते हुए कहा कि 700 से अधिक किसान काले कानूनों के खिलाफ आंदोलन करते हुए शहीद हुए हैं। इनके परिवारों को मुआवजा दिया जाना चाहिए…किसानों के साथ न्याय करना चाहिए और उनकी दूसरी मांगें स्वीकार की जानी चाहिए।
– सरकार ने बताया कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के आसपास कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान मृत किसानों की संख्या संबंधी आंकड़ा कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के पास नहीं है। लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने यह जानकारी दी। इसके साथ ही तीन केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ देश में पिछले एक साल से अधिक समय से चल रहे आंदोलन पर हुए कथित हमलों से केंद्र सरकार ने अपना पल्ला झाड़ते हुए स्पष्ट किया कि आंदोलनरत किसानों की सुरक्षा की प्राथमिक जिम्मेदारी राज्य सरकारों की है।
– सरकार ने लोकसभा को सूचित किया कि सीबीआई की जांच वाले कुल 64 मामले पांच साल से अधिक समय से लंबित हैं। कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) 1,256 मामलों की जांच कर रही है।