हिंदू धर्म में पूर्णिमा और अमावस्या की तिथि को बेहद ही खास माना जाता है। जो हर महीने पड़ती है अभी ज्येष्ठ माह चल रहा है और इस महीने पड़ने वाली अमावस्या को ज्येष्ठ अमावस्या के नाम से जाना जाता है।
इस दिन शनि जयंती और वट सावित्री का व्रत पूजन भी किया जाएगा।
इस बार ज्येष्ठ अमावस्या 19 मई को पड़ रही है इस दिन पूजा पाठ और व्रत आदि के साथ साथ स्नान दान करना भी उत्तम माना जाता है ऐसा करने से देवी देवताओं की कृपा व आशीर्वाद प्राप्त होता है तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा ज्येष्ठ अमावस्या की पूजन विधि बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।
ज्येष्ठ अमावस्या की पूजा विधि-
आपको बता दें कि ज्येष्ठ अमावस्या के दिन सुबह उठकर किसी नदी या कुंड में स्नान आदि करें इसके बाद सूर्य भगवान को जल देकर बहते पानी में तिल प्रवाहित करें। इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान भी करें और किसी गरीब को दान दक्षिणा भी दें।
अमावस्या के दिन शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए प्रभु को सरसों तेल, काले तिल, काले वस्त्र और नीले पुष्प अर्पित करें साथ ही शनि चालीसा का पाठ भी जरूर करें। ऐसा करने से शनि महाराज प्रसन्न हो जाते हैं और अपनी कृपा बरसाते हैं। वही जो लोग इस दिन वट सावित्री का व्रत पूजन करते है उन्हें यम देवता की पूजा जरूर करनी चाहिए और सुहाग की सभी चीजें बांटनी चाहिए ऐसा करने से सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है।