हरियाणा विधानसभा चुनावों की उलटी गिनती शुरू हो गई है। 2019 के राज्य चुनावों और हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनावों के नतीजों पर एक नजर डालने से पता चलता है कि सत्तारूढ़ भाजपा की पकड़ 2014 के मुकाबले राज्य में कम हुई है।
पिछले दो दशकों में, भाजपा और कांग्रेस हरियाणा में प्रमुख पार्टियां रही हैं, जिसने कभी क्षेत्रीय ताकत रही इनेलो को पीछे छोड़ दिया है। 2005 से 2014 तक भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में कांग्रेस सत्ता में थी, जबकि भाजपा पिछले दो कार्यकालों से सत्ता में है, जिसकी शुरुआत 2014 में नरेंद्र मोदी की लहर से हुई थी। हालांकि, 2019 में, भाजपा को सरकार बनाने के लिए जननायक जनता पार्टी (JJP) की मदद की जरूरत पड़ी। लोकसभा चुनावों में भी यही ट्रेंड देखने को मिला। जिसमें कांग्रेस ने 2004 और 2009 में हरियाणा में अधिकांश सीटें जीतीं, 2014 में भाजपा आगे रही और फिर 2019 में उसने सभी निर्वाचन क्षेत्रों में जीत हासिल की। हालांकि, हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में कांग्रेस ने वापसी करते हुए भाजपा के बराबर ही पांच सीटें जीतीं।
लगातार तीसरी बार सरकार बनाने के लक्ष्य से उतरेगी भाजपा
हरियाणा में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी एक अक्तूबर को होने वाले राज्य विधानसभा चुनाव में लगातार तीसरी बार सरकार बनाने के लक्ष्य के साथ उतरेगी जबकि उसे इस बार सत्ता विरोधी लहर एवं मजबूत कांग्रेस से मुकाबला करना होगा। कांग्रेस की चुनौती का मुकाबला करने के लिए भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा चुनाव से पहले मार्च में मनोहर लाल खट्टर की जगह, प्रदेश इकाई के तत्कालीन अध्यक्ष नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाकर साहसिक कदम उठाया। खट्टर करनाल से लोकसभा के लिए निर्वाचित घोषित किये गये और उन्हें केंद्रीय मंत्री बनाया गया, जबकि सैनी ने आम चुनावों के साथ ही कराये गये करनाल विधानसभा उपचुनाव जीता। हरियाणा विधानसभा चुनाव में भाजपा की ओर से सैनी मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार हैं।
भाजपा 2014 में पहली बार हरियाणा में अपने दम पर सत्ता में आई थी। 2019 के विधानसभा चुनावों के बाद भाजपा ने दुष्यंत चौटाला के नेतृत्व वाली जननायक जनता पार्टी (जजपा) के साथ हाथ मिलाकर राज्य में सरकार का गठन किया, क्योंकि भाजपा को सदन में अपने बूते स्पष्ट बहुमत नहीं मिल पाया था। हालांकि, साढ़े चार साल पुराना गठबंधन मार्च 2024 में उस वक्त टूट गया जब सैनी ने खट्टर की जगह मुख्यमंत्री का पद संभाला। भारत निर्वाचन आयोग ने शुक्रवार को हरियाणा में विधानसभा चुनाव के तारीखों का ऐलान किया। प्रदेश में एक अक्टूबर को मतदान कराया जायेगा जबकि चार अक्टूबर को मतों की गिनती की जायेगी।
इनेलो और AAP भी होगी मैदान में
विधानसभा चुनाव में कांग्रेस भाजपा के लिए मुख्य चुनौती है, वहीं जजपा, इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) और आम आदमी पार्टी भी अपने उम्मीदवार मैदान में उतारने जा रही हैं, जिससे यह मुकाबला बहुकोणीय बन गया है। वरिष्ठ कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने दावा किया है कि विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी और भाजपा के बीच ‘सीधी लड़ाई’ होगी और उन्होंने मैदान में मौजूद अन्य लोगों को ‘वोट कटवा’ करार दिया है। सत्तारूढ़ भाजपा मुख्यमंत्री सैनी और उनके पूर्ववर्ती खट्टर की ‘स्वच्छ छवि’ तथा राज्य सरकार के पारदर्शी प्रशासन का लाभ उठाने की कोशिश करेगी।
आम आदमी पार्टी ने राज्य में कई रैलियां कीं और पिछले महीने केजरीवाल की पांच गारंटियों की घोषणा की । इनमें मुफ्त बिजली, मुफ्त चिकित्सा, मुफ्त शिक्षा, युवाओं के लिए रोजगार और मतदाताओं को लुभाने के लिए राज्य की प्रत्येक महिला को 1,000 रुपये प्रति माह देने का वादा किया गया। प्रदेश में भाजपा को जहां केंद्र में सरकार होने का लाभ मिल सकता है वहीं राज्य में 10 साल से सत्ता में होने के कारण पार्टी को सत्ता विरोधी लहर का मुकाबला करना होगा।
एक के बाद एक कई घोषणाएं कर चुके हैं सीएम सैनी
इसका मुकाबला करने के लिए हाल ही में सैनी सरकार ने किसानों सहित समाज के विभिन्न वर्गों के लिए कई घोषणा की है। इस महीने की शुरुआत में, हरियाणा मंत्रिमंडल ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर 10 और फसलों को खरीदने के प्रस्ताव को मंजूरी दी। दूसरी ओर, हरियाणा में सत्ता विरोधी लहर के सहारे सत्ता में वापसी की कोशिश में जुटी कांग्रेस ने बेरोजगारी, कानून-व्यवस्था और किसानों के मामले को अपना चुनावी मुद्दा बनाया है।
कांग्रेस 15 जुलाई से शुरू हुए अपने ‘हरियाणा मांगे हिसाब’ अभियान के तहत इन मुद्दों को लेकर भाजपा पर हमला बोल रही है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा है कि अगर राज्य में कांग्रेस की सरकार बनती है तो बुजुर्गों को 6,000 रुपये मासिक पेंशन दी जाएगी, हर परिवार को हर महीने 300 यूनिट मुफ्त बिजली मिलेगी जबकि महिलाओं को 500 रुपये में रसोई गैस सिलेंडर मुहैया कराया जाएगा।
विपक्षी पार्टी को हाल के आम चुनावों में भी बढ़त मिली, कांग्रेस ने हरियाणा में 10 लोकसभा सीटों में से पांच सीटें भाजपा से छीन लीं तथा 90 विधानसभा क्षेत्रों में से 46 पर बढ़त हासिल करने का दावा किया। जजपा और इनेलो को अपनी कमर कसनी होगी क्योंकि दोनों ही दलों को 2024 के लोकसभा चुनावों में करारी हार का सामना करना पड़ा था।