राजस्थान में 25 नवंबर को विधानसभा चुनाव की वोटिंग होनी है। शनिवार को कांग्रेस ने उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की। इस लिस्ट में पार्टी ने 33 कैंडिडेट को मैदान में उतारा है।
पहली सूची में राजस्थान कांग्रेस के दो सबसे चर्चित चेहरे सीएम अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के नाम भी शामिल हैं। इस लिस्ट में 29 मौजूदा विधायकों के नाम हैं। कांग्रेस की पहली लिस्ट में सीएम गहलोत के ‘वफादारों’ के नाम गायब हैं। वहीं पायलट के समर्थकों और सीएम गहलोत के विरोधियों को आलाकमान ने टिकट दिया है। इसी के साथ कांग्रेस नेतृत्व ने दो-दो मैसेज दे दिया है।
सीएम गहलोत के ‘वफादारों’ के नाम गायब
पहली लिस्ट में दिग्गज नेता शांति धारीवाल, महेश जोशी और धर्मेंद्र राठौड़ के नाम नहीं हैं। ये तीनों सीएम गहलोत के खास माने जाते हैं। तीनों पिछले साल सितंबर में हुए विधायक दल की बैठक का बहिष्कार किए थे। आलाकमान ने इसे तब अनुशासनहीनता बताया था। सूत्रों के मुताबिक, सीएम गहलोत तीनों नेताओं को टिकट दिलाने के प्रयास में जुटे हैं। हालांकि अभी तक तीनों का नाम फाइनल नहीं हुआ है।
गहलोत के कट्टर विरोधियों को मिला टिकट
सीएम गहलोत और पायलट के बीच का मनमुटाव तो जगजाहिर है। लेकिन बीते कुछ महीनों से दोनों नेता एक-दूसरे के खिलाफ ‘शब्द बाण’ चलाना बंद कर दिए हैं। पहली लिस्ट में आलाकमान ने इंद्राज सिंह गुर्जर, रामनिवास गावड़िया और मुकेश भाकर को टिकट दिया है। तीनों नेता सीएम गहलोत के कट्टर विरोधी और सचिन पायलट के समर्थक माने जाते हैं। पायलट ने जब साल 2020 में बगावत किया था तब ये तीनों नेता उनके साथ मानेसर भी गए थे। पायलट समर्थक ये नेता बार-बार कई मंचों पर सचिन पायलट को सीएम बनाने की मांग करते रहे हैं।
आलाकमान के दो मैसेज
हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक के विधानसभा चुनाव में सरकार बनाने के बाद कांग्रेस का जोश हाई है। नवंबर में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। इनमें से तीन राज्य (मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़) को अगले साल होने जा रहे लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल कहा जा रहा है। इन तीन में से दो राज्यों में कांग्रेस की सरकार है। साल 2018 में कांग्रेस ने तीनों ही राज्यों में जीत हासिल की थी लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए जिससे मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार गिर गई।
कांग्रेस को यह डर है कि कहीं राजस्थान में गहलोत-पायलट विवाद से चुनाव में नुकसान न हो जाए। इस वजह से किसी भी कीमत पर पार्टी पायलट को नाराज नहीं करना चाहती है। पायलट का युवा वोटरों के बीच खासा क्रेज है, उन्हें देखने-सुनने के लिए लोगों की भीड़ जुटती है। ऐसे में आलाकमान नहीं चाहती कि चुनाव से पहले पायलट और गहलोत में मनमुटाव बढ़े। इसके अलावा कांग्रेस नेतृत्व सचिन पायलट और उनके समर्थकों को नाराज भी नहीं करना चाहती है क्योंकि पायलट समेत जब 19 विधायक मानेसर चले गए थे तब सरकार के गिरने की नौबत आ गई थी। इसके साथ-साथ पार्टी ने सीएम गहलोत को भी एक महत्वपूर्ण संदेश दिया है। आलाकमान ने यह साफ कर दिया है कि राज्य में गहलोत को फ्री हैंड नहीं दिया गया है और सभी मुख्य फैसले पार्टी नेतृत्व की ओर से ही लिया जाएगा।