4 जुलाई से सावन माह शुरू हो रहा है. सावन में रुद्राभिषेक कराने से शिव जी की कृपा जल्द प्राप्त होती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव जी ने जब विष पान किया था तो उनका सिर तपने लगा था, तब देवताओं ने उनका जलाभिषेक किया.
उसके बाद से ही शिवजी का जलाभिषेक या रुद्राभिषेक किया जाता है. इससे शिव जी को शीतलता मिलती है. रुद्राभिषेक करने से सभी प्रकार के दुख, रोग, दोष आदि मिट जाते हैं. जीवन में सुख, शांति, संपन्नता आती है.
कब करते हैं रुद्राभिषेक?
काशी के पंडित शिव शुक्ला बताते हैं कि रुद्राभिषेक आप साल में कभी भी उस दिन कर सकते हैं, जिस दिन शिववास हो. शिववास में यह भी देखा जाता है कि दिन विशेष पर शिववास कहां है. यदि शिववास कैलाश पर हो, नंदी पर हो या गौरी के साथ हो तभी रुद्राभिषेक किया जाना चाहिए. यदि शिववास सभा में, भोजन में, क्रीड़ी में या श्मशान में हो तो रुद्राभिषेक नहीं किया जाना चाहिए.
सावन शिव जी का प्रिय महीना है, इसलिए श्रावण मास में रुद्राभिषेक कराया जाता है ताकि महादेव प्रसन्न होकर मनोकामनाओं की पूर्ति कर दें. आइए जानते हैं सावन 2023 में रुद्राभिषेक के लिए शुभ मुहूर्त और तारीखें.
सावन 2023 रुद्राभिषेक का शुभ मुहूर्त
4 जुलाई : शिववास गौरी के साथ – प्रात:काल से 01:38 पी एम तक
6 जुलाई : शिववास कैलाश पर – सुबह 06:30 एएम से 03:12 एएम, 7 जुलाई तक
7 जुलाई: शिववास नन्दी पर- प्रात:काल से 12:17 ए एम, 8 जुलाई तक
10 जुलाई: शिववास गौरी के साथ- सुबह से शाम 06:43 पी एम तक, सावन का पहला सोमवार
13 जुलाई: शिववास कैलाश पर – प्रात:काल से शाम 06:24 पी एम तक, उसके बाद नन्दी पर
14 जुलाई: शिववास नन्दी पर – प्रात:काल से शाम 07:17 पी एम तक
17 जुलाई: शिववास गौरी के साथ -प्रात:काल से 12:01 ए एम, 18 जुलाई तक, सावन सोमवार
19 जुलाई: शिववास गौरी के साथ – प्रात:काल से 04:30 ए एम, 20 जुलाई तक
22 जुलाई: शिववास कैलाश पर – सुबह 09:26 ए एम से पूरे दिन
23 जुलाई: शिववास कैलाश पर- प्रात:काल से 11:44 ए एम तक, फिर पूरे दिन नन्दी पर
24 जुलाई: शिववास नन्दी पर – प्रात:काल से 01:42 पी एम तक, सावन सोमवार
27 जुलाई: शिववास गौरी के साथ – प्रात:काल से 03:47 पी एम तक
29 जुलाई: शिववास कैलाश पर – दोपहर 01:05 पी एम से रात तक
30 जूलाई: शिववास कैलाश पर- प्रात:काल से 10:34 ए एम तक, फिर नंदी पर
31 जुलाई: शिववास नन्दी पर – प्रात:काल से 07:26 ए एम तक, सावन सोमवार
2 अगस्त: शिववास गौरी के साथ – प्रात:काल से रात 08:05 पी एम तक
4 अगस्त: शिववास कैलाश पर – दोपहर 12:45 पी एम से रात तक
5 अगस्त: शिववास कैलाश पर – प्रात:काल से 09:39 ए एम तक, फिर नंदी पर पूरे दिन
6 अगस्त: शिववास नन्दी पर – प्रात:काल से 07:09 ए एम तक
8 अगस्त: शिववास गौरी के साथ – प्रात:काल से 03:52 ए एम, 09 अगस्त तक
11 अगस्त: शिववास कैलाश पर पूरे दिन
12 अगस्त: शिववास कैलाश पर – प्रात:काल से 06:31 ए एम तक, फिर नन्दी पर पूरे दिन
13 अगस्त: शिववास नन्दी पर – प्रात:काल से 08:19 ए एम तक
15 अगस्त: शिववास गौरी के साथ – दोपहर 12:42 पी एम से पूरे दिन
16 अगस्त: शिववास गौरी के साथ – प्रात:काल से 03:07 पी एम तक
18 अगस्त: शिववास गौरी के साथ – प्रात:काल से 08:01 पी एम तक
21 अगस्त: शिववास कैलाश पर – प्रात:काल से 02:00 ए एम, 22 अगस्त तक
22 अगस्त: शिववास नन्दी पर – प्रात:काल से 03:05 ए एम, 23 अगस्त तक
25 अगस्त: शिववास गौरी के साथ – प्रात:काल से 02:02 ए एम, 26 अगस्त तक
28 अगस्त: शिववास कैलाश पर – प्रात:काल से 06:22 पी एम तक, फिर नंदी पर, सावन सोमवार
29 अगस्त: शिववास नन्दी पर – प्रात:काल से 02:47 पी एम तक
31 अगस्त: शिववास गौरी के साथ – 07:05 ए एम से पूरे दिन, श्रावण पूर्णिमा, सावन का अंतिम दिन