सहारा इंडिया के प्रमुख सुब्रत रॉय का मंगलवार देर रात मुंबई के कोकिला बेन हॉस्पिटल में निधन हो गया। वह कई दिनों से बीमार चल रहे थे। उनके निधन में समाजवादी पार्टी समेत दूसरे राजनीतिक दलों ने शोक जताया है।बिहार के अररिया जिले के रहने वाले सुब्रत रॉय (Subrata Roy) को पढ़ने में कुछ खास मन नहीं लगता। शुरूआती पढ़ाई-लिखाई कोलकाता में हुई और फिर वो गोरखपुर पहुंच गए। साल 1978 में सुब्रत रॉय ने अपने एक दोस्त के साथ मिलकर स्कूटर पर बिस्कुट और नमकीन बेचने का काम शुरू किया। एक कमरे में दो कुर्सी और एक स्कूटर के साथ उन्होंने दो लाख करोड़ रुपये तक का सफर तय कर किया। दोस्त के साथ मिलकर उन्होंने चिट फंड कंपनी शुरू की। उन्होंने पैरा बैंकिंग की शुरूआत की। गरीब और मध्यम वर्ग को टारगेट किया।मात्र 100 रुपये कमाने वाले लोग भी उनके पास 20 रुपये जमा कराते थे। देश की गलियों-गलियों तक उनकी ये स्कीम मशहूर हो गई। लाखों की संख्या में लोग सहारा के साथ जुड़ते चले गए। हालांकि साल 1980 में सरकार ने इस स्कीम पर रोक लगा दी गई थी, लेकिन तब तक काफी लोगों ने इसमें निवेश किया था। सभी निवेशकों के पैसे बाद में फंस गए।