नई दिल्ली: भारत के कई राज्यों ने केंद्र सरकार से मांग की है कि कोरोना की वैक्सीन 18 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को लगाने की इजाज़त दी जाए. इसको लेकर केंद्र सरकार को चिट्ठी भी लिखी गई है. लेकिन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक वैक्सीनेशन ऐसे तय नहीं होता है और इसकी एक प्रक्रिया होती है. दुनिया का हर देश एक योजनबद्ध तरीके से टीकाकरण अभियान चलाता है. बता दें कि दुनिया के बाकी देशों ने भी भारत की तरह ही प्रायोरिटी ग्रुप (प्राथमिकता समूह) तय किए हैं और वहां भी भारत की तरह ही टीकाकरण का कार्यक्रम चल रहा है.
भारत में अब तक कुल 8 करोड़ 31 लाख 10 हज़ार 926 वैक्सीन की डोज दी जा चुकी है. जिसमें से 7 करोड़ 22 लाख 77 हज़ार 309 लोगों को पहली डोज दी जा चुकी है. वहीं कुछ राज्य सरकारों ने केंद्र से सबको वैक्सीन लगाने की बात कही है. लेकिन स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक ऐसा करने की अभी जरूरत नहीं है, क्योंकि टीकाकरण अभियान एक योजना के तहत चरणबद्ध तरीके से चलता है.
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण कहते हैं, “हम आपको बताना चाहते थे कि हम तेज़ी से काम नहीं कर रहे हैं, ये समझना पड़ेगा कि वैक्सीनेशन है और एडल्ट वैक्सीनेशन है, कोई वस्तु किसी को बांट रहे हो और वो उसको घर लेकर जा रहा है, ऐसा नहीं है. इसमें अप्रत्याशित रैम्पिंग अप नहीं हो सकती और ये एक साइंटिफिक प्रक्रिया के तहत होता है. उस साइंटिफिक प्रक्रिया में ये लिखा हुआ है कि जब आपको वैक्सीन लगेगी तो आप आधे घंटे बैठेंगे आपको ऑब्ज़र्व किया जाएगा कि एडवर्स इफ़ेक्ट तो नहीं. तो साइंटिफिक डिसिप्लिन का पालन करते हुए आप इसको कितनी तेज़ी से कर सकते हो, ये देखने की बात है. 80 से कम दिनों में 8 करोड़ से ज्यादा डोज दी गई.”
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक दुनिया के बाकी देशों में भी इसी तरह किया जा रहा है. पूरी योजना विज्ञान के आधार पर तैयार की गई है. महामारी में सबसे पहले उनको टीका दिया जाता है, जिन्हें इसकी जरूरत है और जिनकी जान बचाना है.
राजेश भूषण ने बताया, “आखिर हम टीकाकरण सबके लिए क्यों नहीं खोल देते. क्यों नहीं हर बालिग आदमी को टीका लगा दिया जाता है. मैं आपको बताना चाहता हूं कि विश्व में क्या हो रहा है. उन्होंने भी बहुत सोचा और समझा है. उन्होंने भी विज्ञान देखा है. जब भी आप इस तरह की महामारी में टीकाकरण करते हैं, तो आपका मुख्य उद्देश्य होता है आप मृत्यु से बचें. हमने आपको बताया कि दुनिया के बाकी देशों में मृत्यु ज्यादा है. इसलिए इसका बेसिक मकसद है मृत्यु को कम करना, टीकाकरण के जरिए. इसका दूसरा उद्देश्य है आपके हेल्थकेयर सिस्टम को प्रोटेक्ट करना. आपके डॉक्टर नर्स ही ग्रसित हो गए तो इलाज कौन करेगा. यही दो उद्देश्य है फिर चाहे भारत हो, अमेरिका हो, कनाडा हो या कोई और देश.”