कांग्रेस ने अपने संगठन में बड़ा फेरबदल किया है। राजस्थान के सचिन पायलट को छत्तीसगढ़ का प्रभारी बनाया है। जबकि राजस्थान प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा को बरकरार रखा है। माना जा रहा है कि सचिन पायलट को छत्तीसगढ़ का प्रभारी बनाकर कांग्रेस ने एक तीर से दो निशाने साधे है।
मतलब साफ है कि सचिन पायलट अब राजस्थान में नेता प्रतिपक्ष और पीसीसी चीफ की रेस से बाहर हो गए है। इससे पहले कांग्रेस आलाकमान ने अशोक गहलोत को राष्ट्रीय गठबंधन समि्ति का सदस्य बनाया था। इसके बाद सचिन पायलट को यह बड़ी जिम्मेदारी दी है।
कांग्रेस के संठनात्मक फेरबदल में राजस्थान के दो कांग्रेसी नेताओं को पूरी तरह से साइड लाइन कर दिया है। रघु शर्मा को गुजरात और हरीश चौधरी को पंजाब के प्रभारी पद से हटा दिया है। सियासी जानकारों का कहना है कि दोनों ही नेता खुद गहलोत से बड़ा साबित करने की कोशिश कर रहे थे। हरीश चौधरी हनुमान बेनीवाल की पार्टी को गहलोत द्वारा प्रायोजित पार्टी कहा करते थे। जबकि रघु शर्मा कई मौकों पर गहलोत की बात काटते हुए दिखाई दिए है।
गहलोत-पायलट को किया एडजस्ट
माना जा रहा है कि राजस्थान में हार के बाद कांग्रेस ने अपने दोनों बडे़ नेताओं को एडजस्ट कर दिया है। माना जा रहा है कि राजस्थान में नेता प्रतिपक्ष की रेस हरीश चौधरी बन सकते है। क्योंकि हरीश चौधरी से पंजाब का प्रभार ले लिया गया है। देवेंद्र यादव को पंजाब का प्रभारी बनाया गया है। हरीश चौधरी राजस्थान बाड़मेर जिले से आते है। माना जा रहा है कि उन्हें नेता प्रतिपक्ष बनाया जा सकता है।
नेता प्रतिपक्ष की संभावनाएं क्षीण
राजस्थान विधानसभा चुनाव में इस बार कांग्रेस को पूरी उम्मीद थी कि सरकार रिपीट होगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ है। कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा है। राजस्थान कांग्रेस गुटों में बंटी हुई है। गहलोत गुट और पायलट गुट। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने दोनों गुटों को साधने की कोशिश की है। दोनों ही नेताओं को राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय किया है। सियासी जानकारों का कहना है कि राजस्थान में किसी नेता चेहरे को नेता प्रतिपक्ष बनाया जा सकता है।