नई दिल्ली: दुनिया में सबसे ज्यादा सदस्य होने का दावा करने वाली भारतीय जनता पार्टी आज 41 बरस की युवा हो गई. पहले जनसंघ और फिर जनता पार्टी से बीजेपी बनी इस पार्टी को सत्ता के शिखर तक पहुंचाने में अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी सरीखे नेताओं के अथक परिश्रम के साथ ही उन अनगिनत,अनाम कार्यकर्ताओं का अहम योगदान रहा है जो मूल रुप से आरएसएस के स्वयंसेवक माने जाते हैं. कहने को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ,बीजेपी का मातृ संगठन है लेकिन सही मायने में संघ ही बीजेपी की ताकत है और वही इसका भाग्यविधाता भी है. शायद यही वजह है कि बीजेपी की दशा-दिशा तय करने वाले संघ के एक स्वयंसेवक के हाथ में ही लगातार दूसरी बार देश की कमान है.
6 अप्रैल 1980 को बीजेपी की विधिवत स्थापना से बहुत पहले यानी 1951 में ही आरएसएस ने भारतीय जनसंघ की स्थापना करवा कर राजनीति के क्षेत्र में भी अपने पैर पसारने शुरु कर दिये थे.जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी का नाता भी संघ से ही था और तब उन्हें यह जिम्मेदारी सौंपकर एक तरह से संघ ने अपना लक्ष्य तय कर लिया था कि आने वाले सालों में देश की सत्ता की कमान किसी स्वयंसेवक के हाथ में होगी.साल 1984 में लोकसभा में महज दो सीटें पाने वाली बीजेपी ने हार नहीं मानी और विपक्ष की भूमिका को बखूबी अंजाम देते रही.
इस बीच आडवाणी ने सोमनाथ से अयोध्या तक कि यात्रा निकालकर भारतीय राजनीति की परिभाषा को बदलकर रख दिया. तत्कालीन प्रधानमंत्री वी पी सिंह के मंडल आरक्षण का जवाब कमंडल से दिया गया.अयोध्या आंदोलन के जरिये धार्मिक ध्रुवीकरण और हिंदुत्व की ऐसी लहर चली कि 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में विवादित बाबरी मस्जिद का ढांचा गिरा दिया गया.इसके बाद हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी को अपनी हिंदुत्व छवि का खास लाभ मिला और 1996 के चुनाव में वह सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी और संघ के स्वयंसेवक रहे वाजपेयी देश के प्रधानमंत्री बने.हालांकि बहुमत साबित न कर पाने की वजह से महज 13 दिन में ही वह सरकार गिर गई.
तब पार्टी के तेजतर्रार महामंत्री प्रमोद महाजन बीजेपी की दिशा-दशा बदलने के लिए संघ व पार्टी के बड़े नेताओं को यह समझाने में कामयाब रहे कि समझौतावादी राजनीति किये बगैर सत्ता में आना मुश्किल है.उनकी बात मानी गई और 1998 के चुनाव के बाद बीजेपी ने अपने सहयोगी दलों के साथ मिलकर सरकार बनायी.वाजपेयी दूसरी बार पीएम बने.कहते हैं कि महाजन के कारण ही बीजेपी में एक नई संस्कृति विकसित हुई जिसके चलते दूसरी कतार के नेताओं को ज्यादा महत्व मिलने लगा.कॉरपोरेट घरानों आए उनके अच्छे संपर्कों का भी पार्टी को खासा लाभ मिला.
साल 1999 के चुनाव में बीजेपी ने 20 दलों के साथ मिलकर एनडीए बनाया और ईस गठबंधन को 294 सीटें मिलीं जिसमें से अकेले बीजेपी की 182 सीटें थीं.वाजपेयी तीसरी बार पीएम बने और इस बार पांच साल का कार्यकाल पूरा किया.
2004 व 2009 के लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद बीजेपी ने सत्ता में वापसी करने की रणनीति बदली.2013 में गोआ में हुई पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने सर्वसम्मति से गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में पीएम का उम्मीदवार बनाकर ऐसा मास्टर स्ट्रोक खेला, जो विपक्ष भी आज तक समझ नहीं पाया.साल 2014 के चुनाव में पार्टी ने अपने दम पर 282 सीटें हासिल कर सरकार बनाई.इसे मोदी का करिश्मा ही कहेंगे कि 2019 में यह आंकड़ा बढ़कर 302 तक पहुंच गया.