श्रीनगर: करीब छह महीने के अनथक परिश्रम, आम लोगों, स्वयंसेवी संगठन और सरकार के कई विभागों के तालमेल ने अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया है. श्रीनगर के बीचों-बीच ईदगाह और नौशेरा इलाकों में मरने की कगार पर पहुंची खुशालसर झील में एक बार फिर पानी दिखने लगा है. दिसंबर 2020 में जब इस झील को साफ़ करने का काम शुरू हुआ तो यहां सिर्फ कूड़े और खरपतवार थे.
डल और नगीन झील के साथ ही खुशालसर और गिल्लिसर की दो छोटी झील भी श्रीनगर की प्रसिद्ध झीलों में से थीं. दोनों झील में डल झील का पानी नाला अमीर खान से आता था लेकिन दशकों की इंसानी लालच और सरकारी तंत्र की लापरवाही ने इस नाले को गटर बना दिया था. इसके ज़रिए पुराने शहर का गंदा पानी खुशालसर में आता था.
खुशालसर की बदहाली को देखते हुए नगीन लेक कंजरवेशन ऑर्गेलाइजेशन (एनएलसीओ) नाम के एक एनजीओ ने खुलशलसार को साफ़ करने का बीड़ा उठाया. संस्था के प्रमुख मंज़ूर वांगनू के अनुसार 2001 में उनकी संस्था ने नगीन झील को साफ़ किया और जब वह खुशालसर में आये तो लोगों ने उनका मज़ाक उड़ाया. लेकिन इससे न घबराते हुए उन्होंने दर्जनों मज़दूरों और शिकारों की मदद से झील से कूड़ा उठाना शुरू किया. उनकी मदद के लिए कुछ और छोटे-छोटे संगठन साथ आये लेकिन सफाई का काम आगे नहीं बढ़ सका.
झील जो कभी 450 एकड़ में फैला थी अब अवैध कब्ज़े और मकानों के निर्माण से घटकर 170 एकड़ में रह गया है. लेकिन सफाई का काम मैन्यूअल तरीके से करने में काफी दिकत थी. इसलिए इलाके के स्थानीय लोगों ने मिलकर पैसे जोड़े और खुशालसर कोऑर्डिनेशन कमिटी नाम का एनजीओ बनाया और मिलकर काम को आगे बढ़ाया.
इनका हौसला देखकर सरकार को भी आखिरकार मदद के लिए आगे आना पड़ा और इसी साल मई के महीने में डल झील की सफाई करने वाली मास्टर हार्वेस्टर और अन्य मशीन की तैनाती खुशालसर में कर दी गयी. इससे झील की सफाई का काम तीस-चालीस फीसदी तक पूरा हो गया और 1.5 km X 600 मीटर के एरिया में अब सिर्फ पानी है.
सफाई के काम में जुटे फ्लड कंट्रोल डिपार्टमेंट के कर्मचारी रियाज़ अहमद के अनुसार अभी भी झील को साफ़ करने में पांच-छह महीने का समय लग सकता है और अगर मौसम ने साथ नहीं दिया तो यह काम एक साल तक बढ़ सकता है.