लोकसभा चुनाव के चौथे चरण में श्रीनगर संसदीय क्षेत्र में रात 8 बजे तक 36.58 प्रतिशत मतदान हुआ। चदूरा, चाह ए शरीफ, गंदेरबल, कंगन, खान साहिब और शोपियां विधानसभा क्षेत्रों में 45 प्रतिशत से अधिक मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया।श्रीनगर, गंदेरबल, पुलवामा, बडगाम और शोपियां जिलों में पसरे श्रीनगर संसदीय क्षेत्र में 2,135 मतदान केंद्र बनाए गए थे। मतदान को सुचारू रूप से कराने के लिए 8 हजार सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया था। 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर से संबंधित संविधान के अनुच्छे 370 को निरस्त किए जाने के बाद केंद्र शासित प्रदेश में पहली बार संसदीय चुनाव हो रहे हैं।
साल 1998 के बाद से श्रीनगर लोकसभा सीट पर मतदान प्रतिशत 11 से 30 प्रतिशत के बीच रहा है। 2019 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर 14.4 फीसदी ही वोटिंग हुई थी। इस बार श्रीनगर के मतदान केंद्रों विशेष रूप से शहरी इलाकों में अच्छा मतदान दर्ज किया गया, जहां अतीत में बेहद कम वोटिंग होती थी। अलगाववादी नेताओं के गढ़ जैसे कि पुराने शहरों में भी लोग वोट डालने निकले, क्योंकि अलगाववादी समूहों या उग्रवादियों ने बहिष्कार की अपील नहीं की थी। 5 जिलों और 18 विधानसभा क्षेत्रों में फैले संसदीय सीट के 2,135 मतदान केंद्रों में से किसी में भी अप्रिय घटना सामने नहीं आई।
पुलवामा और शोपियां में दिखी आशा की किरण
पुलवामा और शोपियां के जुड़वां जिलों ने आशा की एक किरण दिखाई, क्योंकि यहां के निवासियों ने बड़ी संख्या में लोकतंत्र के प्रति अटूट प्रतिबद्धता दिखाई। चुनावी प्रक्रिया में भाग लेने से वे ऐसे प्रतिनिधियों को चुनने की उम्मीद करते हैं जो उनकी चिंताओं को दूर करेंगे। पुलवामा जिले के मतदान केंद्र 55-अवंतीपोरा में पहली बार मतदाता बने उमर अय्यूब वोट डालने के लिए काफी उत्साहित दिखे। उन्होंने कहा, ‘मैं लोकतंत्र की भावना का जश्न मनाने के उद्देश्य से मतदान करने आया हूं। मेरा वोट बुनियादी जरूरतों के संदर्भ में विकास और प्रगति के लिए होगा।’ इसी तरह मतदान केंद्र शेर अबाद त्राल में 92 साल की ज़ैबा बेगम अपने पोते-पोतियों के बेहतर भविष्य की एकमात्र उम्मीद के साथ मतदान करने आईं। बुजुर्ग जैबा बेगम ने कहा, ‘मैं अपनी भावी पीढ़ियों की भलाई के लिए अपने क्षेत्र में विकास देखने के उद्देश्य से मतदान कर रही हूं।’