श्रावण मास प्रारंभ हो गया है। कई लोग सावन के माह में सोमवार का ही व्रत रखते हैं और कई लोग व्रत तो रखते हैं परंतु दोनों समय साबूदाने की खिचड़ी, राजगिरे के आटे की रोटी या मोरधन आदि की खिचड़ी पेटभर खाकर व्रत रखते हैं।
ऐसे भी कई लोग है जो व्रत नहीं रखकर तामसिक भोजन करते हैं। सभी के मन में यह सवाल होगा कि क्या होगा यदि व्रत नहीं रखेंगे तो और रख भी लिया तो कौनसा फायदा हो जाएगा?
व्रत नहीं रखेंगे तो क्या होगा :-
- सावन के माह में खान पान पर विशेष ध्यान रखने की जरूत होती है। यदि इस माह में आप सेहत का ध्यान रखते हैं तो निरोगी अवस्था का प्राप्त कर सकते हैं।
- अब यदि श्रावण माह में व्रत नहीं रखोगे तो निश्चित ही एक दिन आपकी पाचन क्रिया सुस्त पड़ जाएगी। आंतों में सड़ाव लग सकता है। पेट फूल जाएगा, तोंद निकल आएगी।
- आप यदि कसरत भी करते हैं और पेट को न भी निकलने देते हैं तो आने वाले समय में आपको किसी भी प्रकार का गंभीर रोग हो सकता है क्योंकि इस ऋतु में वैसे ही पाचन शक्ति कमजोर पड़ जाती है तो वही भोजन करना चाहिए जो जल्दी से सड़ता नहीं हो।
- अच्छा है कि फलाहार ही करेंगे तो जिस तरह प्रकृति पुन: नया जीवन पा लेती हैं उसी तरह आप भी अपने शरीर में पुन: नव जीवन प्राप्त कर सकते हैं।
व्रत का अर्थ पूर्णत: भूखा रहकर शरीर को सूखाना नहीं बल्कि शरीर को कुछ समय के लिए आराम देना और उसमें से जहरिलें तत्वों को बाहर करना होता है। पशु, पक्षी और अन्य सभी प्राणी समय समय पर व्रत रखकर अपने शरीर को स्वास्थ कर लेते हैं। शरीर के स्वस्थ होने से मन और मस्तिष्क भी स्वस्थ हो जाते हैं। अत: रोग और शोक मिटाने वाले चतुर्मास में कुछ विशेष दिनों में व्रत रखना चाहिए। डॉक्टर परहेज रखने का कहे उससे पहले ही आप व्रत रखना शुरू कर दें।