संसद के शीतकालीन सत्र से 12 सांसदों के निलंबन का मुद्दा गर्म है। विपक्षी दल सरकार पर जबरदस्त तरीके से हमलावर है। दरअसल, विपक्ष के 12 सांसदों को मानसून सत्र के दौरान राज्यसभा में अशोभनीय आचरण की वजह से निलंबित किया गया है। सरकार की ओर से बार-बार इस बात को कहा जा रहा है कि इन सांसदों को अपने आचरण के लिए माफी मांगनी चाहिए। शीतकालीन सत्र के दौरान सांसदों के निलंबन को लेकर राज्यसभा में विपक्ष की ओर से खूब हो-हल्ला मचाया जा रहा है। इसी को लेकर राज्यसभा के उप नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने विपक्ष पर निशाना साधा है। नकवी ने कहा कि विपक्ष को अपने ‘सामंती गुरूर के सुरूर’ से बाहर निकलना चाहिए और अपने कृत्य को सही ठहराने की बजाय माफी मांगनी चाहिए।मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि सरकार हमेशा चाहते हैं कि सदस्य चर्चा में भाग लें, लेकिन विपक्षी सदस्यों की प्राथमिकता व्यवधान डालने की होती है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र के मंदिर की गरिमा गिराने वालों को अपने कृत्य को सही ठहराने की बजाय माफी मांगनी चाहिए। दूसरी ओर ‘अशोभनीय आचरण’ के लिए निलंबित 12 सांसदों ने इस कार्रवाई के विरोध में संसद परिसर में धरना दिया और कहा कि वे निलंबन रद्द होने तक प्रतिदिन विरोध प्रदर्शन जारी रखेंगे। निलंबित सांसदों का समर्थन करते हुए कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने फेसबुक पोस्ट में कहा, ‘‘तानशाही के खिलाफ हम गांधीवादी खड़े हैं। हम झुके नहीं।’’संसद के सोमवार को आरंभ हुए शीतकालीन सत्र के पहले दिन राज्यसभा में कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों के 12 सदस्यों को इस सत्र की शेष अवधि तक के लिए उच्च सदन से निलंबित कर दिया गया था। जिन सदस्यों को निलंबित किया गया है उनमें मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के इलामारम करीम, कांग्रेस की फूलों देवी नेताम, छाया वर्मा, रिपुन बोरा, राजमणि पटेल, सैयद नासिर हुसैन, अखिलेश प्रताप सिंह, तृणमूल कांग्रेस की डोला सेन और शांता छेत्री, शिव सेना की प्रियंका चतुर्वेदी और अनिल देसाई तथा भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के विनय विस्वम शामिल हैं।