हिंदू धर्म में अनेक परंपराएं निभाई जाती हैं। इनमें से कुछ के पीछे धार्मिक तो कुछ के लिए वैज्ञानिक कारण छिपे होते हैं। (Hindu Tradition) विवाह के दौरान निभाई जाने वाली परंपरा भी काफी खास होती हैं।
विवाह के बाद सबसे अंत में दुल्हन द्वारा अपने घर की देहली यानी चौखट की पूजा की जाती है। इस परंपरा के पीछे हमारे पूर्वजों की गहरी मनोवैज्ञानिक सोच छिपी है। आगे जानिए इस परंपरा क्यों निभाई जाती है?
कब की जाती है देहली पूजा?
जब परिवार में किसी लड़की का विवाह होता है तो विदाई के ठीक पहले उसे घर लाया जाता है और घर की चौखट यानी देहली की पूजा करवाई जाती है। इसे ही देहली पूजा कहते हैं। इस परंपरा के दौरान घर की कुछ महिलाएं भी साथ होती हैं। ये महिलाएं देहली पूजन की विधि बताती जाती हैं, उसी के अनुसार दुल्हन पूजा करती है। इसके बाद ही दुल्हन की विदाई होती है।
धर्म ग्रंथों में देहरी यानी चौखट का महत्व
घर के शुरूआत जिस स्थान से होती है, उसे ही देहली यानी चौखट कहते हैं। घर में प्रवेश करने से पहले या बाहर जाने से पहले देहली को लांघना पड़ता है। ये एक तरह की लक्ष्मण रेखा होती है। इसी देहली में लोगों के जीवन बीत जाते हैं। धर्म ग्रंथों में देहली विनायक का वर्णन भी मिलता है। देहली विनायक यानी घर की चौखट पर निवास करने वाले भगवान श्रीगणेश। इसलिए घर की देहरी को बहुत ही खास माना गया है।
क्यों करते है देहली पूजा? (Kyo Karte Hai Dehli Puja)
देहली पूजा के पीछे न तो एक गहरी मनोवैज्ञानिक सोच है। उसके अनुसार, हम जीवन भर जिस घर में रहते हैं, जहां हमारा बचपन बीता होता है वो स्थान हमारे दिल के काफी करीब होता है। जब किसी लड़की का विवाह होता है तो देहरी पूजन के माध्यम से उसे यह अहसास दिलाया जाता है यही वो स्थान है जहां तुम्हारे माता-पिता ने तुम्हारा पालन-पोषण किया और अब तुम इस जगह को छोड़कर दूसरी जगह जा रही है। जाने से पहले इस घर की देहली को प्रणाम कर इसका आशीर्वाद लो ताकि तुम्हारा आने वाला जीवन भी सुख-समृद्धि से भरा रहे।