भारत मौजूदा समय कोविड-19 की दूसरी लहर से गुजर रहा है। इस बीच वित्त मंत्रालय ने अपनी मासिक रिपोर्ट में शुक्रवार को कहा कि कोरोना की दूसरी लहर का पहली की तुलना में इकोनॉमी पर कम असर होगा। हालाकि रिपोर्ट में यह स्वीकार किया गया कि कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर से चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में आर्थिक गतिविधियों में गिरावट का जोखिम पैदा हुआ है।
वित्त मंत्रालय ने कहा है, ”पहली लहर के मुकाबले दूसरी लहर के अर्थवव्यस्था पर कम असर होने के कुछ कारण है। अंतरराष्ट्रीय अनुभवों के साथ महामारी के साथ ‘परिचालन’ की सीख से दूसरी लहर के बीच अर्थव्यवस्था के मजबूत बने रहने की उम्मीद है।”
रिपोर्ट कहती है कि वित्त वर्ष 2020-21 के दूसरे चरण में आर्थिक गतिविधियों में सुधार से केंद्र सरकार की राजकोषीय स्थिति बेहतर हुई है। वर्ष 2020-21 के दौरान शुद्ध डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन संशोधित अनुमान की तुलना में 4.5 फीसदी और 2019-20 की तुलना में पांच फीसदी अधिक रहा। यह कोरोना संक्रमण की पहली लहर के बाद से आर्थिक हालत में सुधार का संकेत देता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2020-21 की दूसरी छमाही में जीएसटी कलेक्शन हर महीने 1 लाख करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर गया है। इसके बाद अप्रैल में तो यह 1.41 लाख करोड़ रुपये था जो एक रिकॉर्ड है। हालाकि रिपोर्ट में यह भी माना गया कि कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर ने बाजार का उत्साह प्रभावित किया है। नेशनल स्टाक एक्सचेंज का निफ़्टी-50 और बीएसई का 30 शेयरों वाले सेंसेक्स क्रमश: 0.4 और 1.5 फीसदी नीचे आ गए हैं। इसी तरह अप्रैल में डॉलर के मुकाबला रूपया 2.3 प्रतिशत लुढ़क कर 74.51 तक आ गया। वित्त मंत्रालय ने कहा कि आरबीआई द्वारा खुले बाजार में सरकारी प्रतिभूतियों की 2020-21 में 3.17 लाख करोड़ रुपये की खरीद के साथ नकदी के प्रवाह में मदद किए जाने से घरेलू बाजार में स्थिति सामान्य बनी हुई है।
रिपोर्ट में कहा कि अप्रैल में डिजिटल भुगतान में भी लगातार वृद्धि हुई है। पैसों का लेनदेन डिजिटल भुगतान के जरिए पिछले साल के मुकाबले लगभग दोगना हुआ है। वही उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति बढ़कर 5.52 फीसदी पर पहुंच गई।थोक मूल्य सूचकांक 7.39 प्रतिशत पर पहुंच गई जो इसका आठ साल का उच्चतम स्तर है। वित्त मंत्रालय ने कहा कि अप्रैल 2021 में आयात में 166 फीसदी और निर्यात में 197 फीसदी की बढ़त हुई है।