: न्याय के देवता शनि देव कर्मों का फल देने वाले माने जाते हैं. वैदिक ज्योतिष में शनि की चाल और मानव जीवन पर इसका प्रभाव बहुत ज्यादा रहता है.शनि ढाई साल में एक चाल पूरी करते हैं.
धीमी गति से चलने वाले इस ग्रह को एक राशि से दूसरी राशि में गोचर करने में लगभग 29.5 साल लगते हैं.
कुंडली में शनि के गोचर का करियर, रिश्ते, स्वास्थ्य और आध्यात्मिकता सहित जीवन के विभिन्न पहलुओं पर गहरा प्रभाव पड़ता है. शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या का नाम सुनते ही आमतौर पर जातक सावधान हो जाते हैं, लेकिन माना जाता है कि अगर कर्म अच्छे हों तो शनि के प्रभाव कम नकारात्मक होते हैं.
एक महीने पहले वक्री हुए शनि अभी 5 महीनें तक कुछ राशियों पर सकारात्मक प्रभाव डालते रहेंगे. सबसे धीमी गति से चलते वाले शनि ग्रह का ये परिवर्तन इन राशियों के लिए ये समय सपने के साकार होने जैसा होगा. वैदिक ज्योतिष में शनिदेव के गोचर, स्थान परिवर्तन या फिर वक्री अवस्था से राशियों पर होने वाले प्रभावों के बारे में विस्तार से बताया गया है.
धनु
धनु राशि वालों के लिए शनिवक्री होकर, आपकी सोच से भी ज्यादा दे जाएंगे.
ऑफिस में आपके काम की सराहना होगी और उच्च पद मिलेगा.
सहकर्मी जो सहयोग नहीं करते थे. अब आपके साथ खड़ें होंगे.
आपकी वाणी शहद जैसी मीठी होगी जो लोगों को आपकी तरफ आकर्षित करेगी.
आपके रुके काम जल्द बनने लगेंगे.
भाग्य का साथ मिलेगा और रुके काम बनने लगेगें.
प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे लोगों को फायदा होगा.
कोई गुड न्यूज मिल सकती है.
मकर
आपके लिए वक्री शनि आर्थिक मोर्चे पर फायदा देगा.
आपका बैंक बैलेंस बढ़ेगा.
किसी प्रोपर्टी को बेच कर भी आप धन लाभ ले सकते हैं
या फिर कोई नई प्रोपर्टी में निवेश करने की क्षमता रख सकते हैं.
परिवारिक सुख सुविधाओं में बढ़ोत्तरी होगी.
आपका पुराना प्यार जीवन में वापस आ सकता है.
दांपत्य जीवन में मधुरता आएगी.
लेकिन अपनी वाणी पर नियंत्रण रखें.
आपका बोलना किसी का दिल दुखा सकता है. और वो रिश्ता खराब हो सकता है.