शरद पवार ने एनसीपी के अध्यक्ष पद छोड़ने का फैसला वापस ले लिया है। इसके बाद आसार लगाए जा रहे हैं कि पार्टी के अंदर की रार थम जाएगी। लेकिन शरद पवार ने अपनी ताजा प्रेस कांफ्रेंस में अजित पवार की गैरमौजूदगी में जो जवाब दिया है, उससे इस बात के आसार कम हो गए हैं।
असल में शरद पवार से अजित पवार की नामौजूदगी के बारे में पूछा गया था, जिसके बाद उन्होंने जवाब दिया था, ‘और लोग तो हैं।’ बता दें कि मंगलवार को अपनी आत्मकथा के विमोचन के मौके पर शरद पवार ने एनसीपी के अध्यक्ष पद से इस्तीफे का ऐलान कर दिया था। इसके बाद एनसीपी में इस्तीफों का दौर शुरू हो गया था।
सवाल का बेबाक जवाब
अध्यक्ष पद न छोड़ने की बात को लेकर एनसीपी चीफ मीडिया से मुखातिब थे। इस दौरान पार्टी के तमाम नेता मौजूद थे, लेकिन अजित पवार के भतीजे अजित पवार वहां नहीं थे। इसको लेकर जब शरद पवार से सवाल पूछा गया तो उन्होंने तत्काल जवाब दिया, और लोग तो हैं…। शरद पवार की इस बात के कई मायने निकाले जा रहे हैं। गौरतलब है कि कुछ ही दिनों पहले महाराष्ट्र में अजित पवार को लेकर अटकलों का दौर तेज था। ऐसे कयास लगाए जा रहे थे कि अजित पवार भाजपा के साथ गठबंधन में शामिल हो सकते हैं। हालांकि बाद में अजित पवार खुद सामने आए और आखिरी सांस तक एनसीपी में रहने की बात कही।
अजित पवार को कमजोर करने की रणनीति
इन सारी राजनीतिक अटकलबाजियों के बीच मंगलवार को शरद पवार ने कुछ ऐसा ऐलान कर डाला, जिसकी उम्मीद किसी ने नहीं की थी। अपनी आत्मकथा के विमोचन के मौके पर शरद पवार ने एनसीपी की अध्यक्षी छोड़ने की बात कह डाली। इस फैसले को शरद पवार का मास्टरस्ट्रोक माना गया और अनुमान लगाया गया कि अजित पवार के असर को कमजोर करने के लिए उन्होंने यह कदम उठाया गया। शरद पवार के इस्तीफा देने की बात सामने आने के बाद एनसीपी के तमाम नेता भावुक हो उठे और खुद अजित पवार ने भी कहा कि वह चाचा को मनाएंगे। माना जा रहा है कि इसके बाद पार्टी सिनैरियो में अजित पवार बैकफुट पर चले गए हैं।
शरद की उत्तराधिकार योजना में अजित कितने फिट?
अपना इस्तीफा लेते हुए अजित पवार ने कहा कि मैं कार्यकर्ताओं के भावनाओं का अनादर नहीं कर सकता। मेरे लिए दिखाए गए प्यार और विश्वास से मैं अभिभूत हूं। मैं सेवानिवृत्त होने का अपना निर्णय वापस ले रहा हूं। इसी दौरान शरद पवार ने एनसीपी के उत्तराधिकारी योजना को लेकर भी बात रखी। उन्होंने कहा कि किसी संगठन में किसी भी पद या जिम्मेदारी के लिए एक उत्तराधिकार योजना होनी चाहिए। साथ ही पार्टी में संगठनात्मक बदलाव, नयी जिम्मेदारियां सौंपने और नया नेतृत्व तैयार करने की बातें भी कहीं। सवाल उठता है कि शरद पवार की इस उत्तराधिकार योजना में अजित पवार कितना फिट होते हैं।