सेना की खुफिया इकाई ने सोमवार को राजस्थान के जैसलमेर जिले के पोखरण से एक पाकिस्तानी नागरिक को जासूसी करते हुए पकड़ा। खुफिया इकाई ने कई पाकिस्तानी नंबरों पर फोन कॉल, संदेश, व्हाट्सएप चैट और वीडियो कॉल के रूप में सबूत भी बरामद किए।आरोपी अपनी संदिग्ध गतिविधियों के बाद कुछ समय से खुफिया इकाई के रडार पर था। खुफिया इकाई ने उसे जैसलमेर पुलिस को सौंप दिया है। जैसलमेर के पुलिस अधीक्षक विकास सांगवान ने बताया कि सेना की खुफिया इकाई ने पाकिस्तान के लिए जासूसी करने के आरोप में एक पाकिस्तानी नागरिक को पकड़ा है।जैसलमेर के पुलिस अधीक्षक विकास सांगवान ने कहा कि आरोपी को जल्द संयुक्त पूछताछ समिति (जेआईसी) के सामने पेश किया जाएगा जो आगे की जांच करेगी। एसपी ने आगे बताया कि शुरुआती जांच में पता चला है कि शख्स पाकिस्तान का रहने वाला है। युवक लंबी अवधि के वीजा पर यहां रह रहा था। उसके पास से बरामद फोन को जांच के लिए भेजा जाएगा।जैसलमेर कोतवाली पुलिस स्टेशन के प्रभारी सत्यप्रकाश विश्नोई ने कहा कि आरोपी की पहचान मनु भील (24) के रूप में हुई है, जो जनवरी 2024 से सेना छावनी के अत्यधिक संवेदनशील क्षेत्र में ईंधन डिपो में मजदूर के रूप में काम कर रहा था।भील पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के बहावलपुर जिले का रहने वाला है। वह 2014 में दीर्घकालिक वीजा पर अपने परिवार के साथ भारत आया था। आर्मी इंटेलिजेंस ने उसे आर्मी कैंटोनमेंट से सोमवार रात को पकड़ा और थाने के हवाले कर दिया। पुलिस के मुताबिक, आरोपी को पाकिस्तानी नंबर से फोन पर बात करते हुए पकड़ा गया था। सुरक्षा एजेंसियां मामले की गहन जांच कर रही हैं।जैसलमेर कोतवाली पुलिस स्टेशन के प्रभारी सत्यप्रकाश विश्नोई के मुताबिक, जब सेना के अधिकारियों ने आरोपी की तलाशी ली तो उसके पास से एक फोन मिला, जिससे पता चला कि वह सोशल मीडिया के जरिए पाकिस्तान में कई लोगों के संपर्क में था। इसके अलावा उसके फोन से सोशल मीडिया पर ऑडियो और वीडियो कॉल के जरिए पाकिस्तान में लोगों से जुड़ने के सबूत भी मिले हैं। पकड़े जाने से ठीक पहले उसने कुछ पाकिस्तानी नंबरों से भी बातचीत की थी।इस बीच, जब हिन्दुस्तान टाइम्स ने पुलिस अधीक्षक विकास सांगवान से पूछा कि एक पाकिस्तानी नागरिक को सैन्य छावनी के अति संवेदनशील क्षेत्र में काम करने की अनुमति कैसे दी गई, तो उन्होंने कहा कि सेना ने यह अनुमति दी। वह इस पर टिप्पणी नहीं कर सकते हैं। एसपी ने कहा कि वह संयुक्त पूछताछ समिति (जेआईसी) की जांच के पूरा होने पर आगे की जानकारी साझा कर सकते हैं। संयुक्त पूछताछ समिति (जेआईसी) की ओर से साझा की गई डिटेल के आधार पर मामला दर्ज किया जाएगा।