राजस्थान में विधानसभा चुनाव जीतने के बाद एक सप्ताह बाद भी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कोई संकेत नहीं दिया है कि प्रदेश की कमान किसके हाथों में होगी। चुनाव से पहले ही शुरू हुईं अटकलें 3 दिसंबर को मतगणना के बाद चरम पर पहुंच गईं।
कई नामों पर चल रही चर्चा के बीच अब खबर है कि भाजपा ने ‘राजस्थान का समाधान’ तलाश लिया है। छत्तीसगढ़ की तरह राजस्थान में भी ‘1+2’ का फॉर्मूला लागू किया जाएगा। हालांकि, चेहरे का ऐलान मंगलवार को विधायक दल की बैठक के बाद ही किया जाएगा।
पार्टी सूत्रों का कहना है कि राजस्थान में मुख्यमंत्री के साथ दो उपमुख्यमंत्री भी इसी सप्ताह कमान संभालने जा रहे हैं। उनका कहना है कि राजपूत, ब्राह्मण, मीणा या जाट समुदाय से के तीन नेताओं को तीन सबसे अहम पद दिए जाएंगे। स्पीकर पद के लिए एसी (दलित) महिला विधायक के नाम पर विचार किया गया है। पार्टी के वरिष्ठ नेता ने नाम गोपनीय रखने की शर्त पर बताया कि प्रमुख जाति और समुदाय अपने उम्मीदवारों को टॉप पोस्ट पर देखना चाहते हैं। सोशल इंजीनियरिंग को साधने के लिए ‘1+2’ फॉर्मूले को सबसे मुफीद माना जा रहा है। मुख्यमंत्री पद पर फैसला होने के बाद दो उपमुख्यमंत्रियों का चयन किया जाएगा।
लोकसभा चुनाव में अधिक वक्त नहीं बचा है। ऐसे में पार्टी की कोशिश राजस्थान में प्रभुत्वशाली जातियों को साधने की होगी। हालांकि, मुख्यमंत्री कौन होगा, इसपर सस्पेंस अब तक कायम है। कुछ सूत्रों का कहना है कि छत्तीसगढ़ की तरह राजस्थान में भी नए चेहरों को आगे बढ़ाया जाएगा। हालांकि, कुछ जानकार अब भी मानते हैं कि वसुंधरा राजे को दरकिनार करना पार्टी के लिए आसान नहीं होगा। केंद्र में मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और अश्वनी वैष्णव भी रेस में बने हुए हैं।
बालकनाथ हो सकते हैं डिप्टी सीएम
3 दिसंबर से ही सोशल मीडिया पर लगातार ट्रेंड कर रहे बाबा बालकनाथ को उपमुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि ऐसा करके हिंदुत्ववादी और ओबीसी वोटर्स को एक साथ खुश किया जा सकता है। सांसदी छोड़कर आए बाबा बालकनाथ का नाम मुख्यमंत्री की रेस में भी बताया जा रहा था। हालांकि, उन्होंने पिछले दिनों सोशल मीडिया पर कहा कि उन्हें अभी और अनुभव प्राप्त करना है।