राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सहित अपने सभी प्रमुख संगठनों को 3 सितंबर से हेडक्वॉर्टर में मंथन के लिए बुलाया है। आरएसएस के एक पदाधिकारी ने यह जानकारी देते हुए कहा कि बैठक का लक्ष्य 2022 में होने जा रहे उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में बीजेपी का अच्छा प्रदर्शन सुनिश्चित करना है। आरएसएस ने बीजेपी, भारतीय मजदूर संघ, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और भारतीय किसान संघ सहित सभी अंगों के संगठन सचिवों को बुलाया है।
आरएसएस के वरिष्ठ पदाधिकारी अरविंद कुकडे ने कहा कि संघ परिवार के करीब 60 प्रमुख नेता जो अलग-अलग संगठनों का प्रतिनिधित्व करते हैं और आरएसएस केंद्रीय कार्यकारी समिति के सदस्य चार दिन तक चलने वाले सम्मेलन में भाग लेंगे। बैठक को आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत, सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले और पूर्व सरकार्यवाह भैयाजी जोशी भी संबोधित करेंगे।
आरएसएस के पूर्व पदाधिकारी दिलीप देवधर ने कहा कि बैठक में अफगानिस्तान में हाल में हुए घटनाक्रम पर भी चर्चा होगी। संघ इस मुद्दे पर अपनी राय रखेगा और बताएगा कि यह इसका दुनिया और भारत पर असर किस तरह देखता है। देवधर ने कहा, ”आरएसएस को लगता है कि तालिबान की सत्ता में हिंसक वापसी सभ्य दुनिया के लिए शुभ संकेत नहीं है और इससे कश्मीर में आतंकवादियों का मनोबल बढ़ सकता है।” बैठक में इस मुद्दे पर प्रस्ताव भी पारित किया जा सकता है।
देवधर के मुताबिक, आरएसएस उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार से खुश है और यूपी चुनाव में पूरे मन से उनकी टीम को समर्थन देने का फैसला किया गया है। इसके अलावा स्वयंसेवकों को देश के सबसे बड़े सूबे में अगले साल होने जा रहे चुनाव में सक्रिय किया जाएगा। पंजाब, यूपी, हरियाणा और दिल्ली में जारी किसान आंदोलन पर भी चर्चा हो सकती है और केंद्र सरकार से इसे सुलझाने की अपील की जा सकती है।
संघ चाहता है कि सरकार कृषि उत्पादों के लिए मिनिमम गारंटी प्राइज (एमजीपी) की शुरुआत करे और पिछले साल मोदी सरकार की ओर से लाए गए कृषि कानूनों में कृषि उपज के लिए लाभकारी मूल्य का फॉर्मूला जोड़ा जाए। कुकडे ने कहा कि आरएसएस की बैठक में कोरोना प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन किया जाएगा। इससे पहले 2020 में अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बेंगलुरु में प्रस्तावित बैठक को कोरोना की वजह से रद्द कर दिया गया था।