यह महज संयोग ही हो सकता है कि समाजवादी पार्टी (सपा) की लाल टोपी को लेकर भारती जनता पार्टी (भाजपा) नेताओं की टिप्पणियों के बाद इसकी बिक्री अचानक बढ़ी है। लखनऊ में प्रचार सामग्री बेचने वाले बता रहे हैं कि रैलियों व जुलूस पर चुनाव आयोग की पाबंदी के कारण बैनर व पोस्टर उतने नहीं बिक रहे जितनी सपा की ‘लाल टोपी’। शीला एंटरप्राइजेज के राजू शुक्ला ने बताया कि ‘‘इस विधानसभा चुनाव में रैलियों और जुलूस पर चुनाव आयोग की पाबंदी के कारण प्रचार सामग्री के बैनर पोस्टर की बिक्री तो बहुत कम है लेकिन सपा की लाल टोपी की बिक्री में इजाफा हुआ है।’’ प्रचार सामग्री की एक अन्य दुकान सक्सेना बंधु के नरेंद्र बताते हैं कि समाजवादी पार्टी की टोपियों के साथ समाजवादी मास्क की बिक्री में भी इजाफा देखने को मिला है। उन्होंने बताया कि सायकिल निशान वाले मास्क ज्यादातर युवा कार्यकर्ता खरीद रहें हैं। आयुष पब्लिसिटी सेंटर के अमित और बाला जी इंटरप्राइजेज के आलोक कुमार के अनुसार समाजवादी मास्क की बिक्री बढ़ी है और कार्यक्रता इन्हें लगाकर कोरोना से बचाव करने के साथ साथ पार्टी का प्रचार भी कर रहे हैं। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता और विधानपरिषद सदस्य सुनील सिंह साजन ने दावा किया कि गांव-गांव, गली-गली में सपा का हर नेता और कार्यकर्ता लाल टोपी लगाकर चुनाव प्रचार कर रहा है।’’
साजन ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी ने समाजवाद के लाल रंग को उप्र के लिये खतरा और लाल टोपी वाले गुंडे के बयान के बाद अब पार्टी नेता और कार्यकर्ता प्रदेश में समाजवाद को वापस लाने और सरकार के बदलाव के लिए लाल टोपी पहन रहे हैं। वह कहते हैं कि हम भाजपा नेताओं को दिखा देना चाहते हैं कि लाल टोपी पहनने वाले समाजवादी कार्यकर्ता गुंडे नहीं बल्कि जनता के सेवक हैं और हम विधानसभा चुनाव में क्रांति लाकर इस सरकार को बदल कर ही दम लेंगे। गौरतलब है कि सात दिसंबर को गोरखपुर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समाजवादी पार्टी (सपा) पर हमला करते हुए कहा था कि लाल टोपी वाले उत्तर प्रदेश के लिए रेड एलर्ट (खतरे की घंटी) हैं।