उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले में अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी (एसीएमओ) डॉ अजय प्रताप सिंह समेत 17 सरकारी डॉक्टरों ने जिलाधिकारी माकंर्डेय शाही पर अभद्र भाषा का इस्तेमाल करने का आरोप लगाते हुए इस्तीफा दे दिया है। इस्तीफा देने वालों में 16 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अधीक्षक शामिल हैं।
डॉक्टरों ने जिलाधिकारी शाही पर गंभीर आरोप लगाए हैं। इन सभी अधीक्षकों ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी और यूपी के स्वास्थ्य मंत्री को भेजे अपने इस्तीफे में जिलाधिकारी पर समीक्षा बैठकों में अभद्र भाषा का प्रयोग करने का आरोप लगाया है। डॉक्टरों का कहना है कि सभाओं के दौरान शाही ने उन्हें संबोधित करने के लिए आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किया और वे जिलाधिकारी के व्यवहार से बहुत आहत हुए।
डॉक्टरों ने कहा, “हम लंबे समय से इस पीड़ा से गुजर रहे हैं। जिला मजिस्ट्रेट समीक्षा बैठकों में हमारे लिए अनुचित भाषा का उपयोग करते हैं। इसके बावजूद कोविड महामारी व टीकाकरण को देखते हुए हम रोगियों को निर्बाध रूप से सेवाएं प्रदान कर रहे थे।”
डॉक्टरों ने अपने इस्तीफे में कहा है कि 6 जुलाई को हुई समीक्षा बैठक के दौरान एसीएमओ ने मेडिकल किट और दवाओं का ब्योरा मांगा था, लेकिन जिलाधिकारी ने उन्हें डांटते हुए खामोश कर दिया और कहा, “‘खाता पूछने वाले आप कौन होते हैं।” डॉक्टरों के मुताबिक, “कोरोना योद्धाओं के रूप में सम्मानित होने के बजाय, हमारा अपमान किया जा रहा है।”
इन आरोपों को लेकर गोंडा के जिलाधिकारी माकंर्डेय शाही से संपर्क करने की तमाम कोशिशें नाकाम साबित हुईं और सरकार की ओर से भी इस मामले पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई। इस बीच खबर है कि बड़े पैमाने पर डॉक्टरों के इस्तीफे से जिले में स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह से चरमराने के कगार पर है। इसे लेकर स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मचा हुआ है।