भाजपा का प्रदेश नेतृत्व 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले अपनी नई टीम का गठन करने की तैयारी कर रहा है। इस टीम में जातीय समीकरणों के साथ ही योगी आदित्य नाथ सरकार के पहले कार्यकाल में मंत्री रह चुके आधा दर्जन नेताओं को भी जगह मिल सकती है। इसी के साथ खराब प्रदर्शन करने वाले पूर्व प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह की टीम के कुछ पदाधिकारियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया जाएगा। मंत्री और क्षेत्रीय अध्यक्ष के तौर पर मौजूदा पदाधिकारियों को अच्छा काम करने के एवज में प्रोन्नति भी दी जा सकती है।
निकाय चुनाव को लोकसभा चुनाव से पहले का सेमीफाइनल घोषित कर चुके हैं प्रदेश अध्यक्ष
योगी आदित्य नाथ की सरकार में काबीना मंत्री भूपेन्द्र सिंह चौधरी को करीब चार महीने पहले भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। पार्टी सूत्रों के अनुसार भूपेन्द्र सिंह चौधरी इन चार महीनों में पहले निकाय चुनाव और उपचुनाव की तैयारियों में जुटे रहे। अध्यक्ष पद पर बैठते ही भूपेन्द्र सिंह चौधरी ने निकाय चुनाव को लोकसभा चुनाव से पहले का सेमीफाइनल घोषित कर उसे गंभीरता से लेने को कार्यकर्ताओं का आह्वान किया था। उपचुनाव तो हो गए, लेकिन निकाय चुनाव अभी भी लटके हुए हैं। अब अगर चुनाव लटकते हैं तो भाजपा प्रदेश नेतृत्व की पहली प्राथमिकता होगी अपनी नई टीम का गठन करना। उनकी यह टीम 2024 का लोकसभा चुनाव के लिए भी काम करेगी। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष प्रदेश पदाधिकारियों से लेकर क्षेत्रीय अध्यक्षों में भी बदलाव कर सकते हैं। इसी के साथ मोर्चों का भी पुनर्गठन होगा।
जनवरी में बन सकती है नई टीम
पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे. पी. नड्डा का कार्यकाल अगले साल 20 जनवरी को समाप्त हो रहा है। फरवरी में पार्टी के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष का भी चुनाव होना है। नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव से पहले प्रदेश की नई टीम का गठन होना जरूरी है। सूत्रों के अनुसार प्रदेश सरकार में मंत्री बन चुके जेपीएस राठौर, नरेन्द्र कश्यप व दयाशंकर सिंह सरीखे पदाधिकारियों के स्थान पर नए पदाधिकारियों को जगह दी जाएगी। इसके साथ कई पुराने पदाधिकारियों को भी हटाया जाएगा। श्रीकांत शर्मा, डा. महेन्द्र सिंह, सतीश द्विवेदी, आशुतोष टण्डन, अनुपमा जायसवाल व सुरेश राणा जैसे पूर्व मंत्रियों को संगठन में जगह मिल सकती है।