महुआ मोइत्रा के खिलाफ ‘पैसे लेकर सवाल पूछने’ का आरोप लगाने वाले बीजेपी के लोकसभा सांसद निशिकांत दुबे ने शनिवार को कहा कि यह दुखद दिन था क्योंकि एक सांसद को भ्रष्टाचार और राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर निष्कासित किया गया।
महुआ मोइत्रा को लोकसभा से निष्कासित किए जाने के एक दिन बाद भाजपा सांसद ने कहा, “इसमें खुश होने की क्या बात है? यह एक दुखद दिन था।” महुआ मोइत्रा के निष्कासन के बाद भाजपा सांसद की यह पहली प्रतिक्रिया थी। इससे पहले उन्होंने शुक्रवार को इस मुद्दे पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। शनिवार को भी उन्होंने कहा कि वह इस मुद्दे पर कोई और टिप्पणी नहीं करना चाहते।
महीनों तक, निशिकांत दुबे और महुआ मोइत्रा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म (एक्स) पर आमने-सामने थे। मोइत्रा ने दुबे पर उनकी डिग्री को लेकर सवाल उठाया था। लोकसभा की आचार समिति द्वारा महुआ मोइत्रा के खिलाफ आरोपों की जांच शुरू करने के बाद भी एक दूसरे पर तीखे हमले जारी रहे। लेकिन 8 दिसंबर को, जिस दिन महुआ मोइत्रा ने अपनी लोकसभा सदस्यता खो दी, उस दिन से निशिकांत दुबे ने कोई ट्वीट नहीं किया।
निशिकांत दुबे शनिवार को खुलकर मुस्कुरा रहे थे, लेकिन उन्होंने कहा कि निष्कासन खुश होने का मुद्दा नहीं था। उन्होंने कहा, “भ्रष्टाचार और राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर एक सांसद के निष्कासन से मुझे दुख होता है। कल कोई खुशी का दिन नहीं बल्कि दुखद दिन था।” महुआ मोइत्रा का निष्कासन शुक्रवार को लोकसभा में ध्वनि मत से पारित हो गया। उन्हें निष्कासित करने का प्रस्ताव संसदीय आचार समिति के इस निष्कर्ष के बाद प्रस्तुत किया गया था कि “एक सांसद के रूप में महुआ मोइत्रा का आचरण अनैतिक और अशोभनीय था”।
मोइत्रा ने अपने इस निष्कासन की तुलना ‘कंगारू अदालत’ द्वारा फांसी की सजा दिए जाने से करते हुए आरोप लगाया कि सरकार लोकसभा की आचार समिति को विपक्ष को झुकने के लिए मजबूर करने का हथियार बना रही है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी ने मोइत्रा को लोकसभा की सदस्यता से निष्कासित करने के फैसले की निंदा की और इस कदम को देश के संसदीय लोकतंत्र के साथ ‘‘विश्वासघात’’ करार दिया।
इससे पहले सदन में लोकसभा की आचार समिति की उस रिपोर्ट को चर्चा के बाद मंजूरी दी गई जिसमें मोइत्रा को निष्कासित करने की सिफारिश की गई थी। विपक्ष, विशेषकर तृणमूल कांग्रेस ने आसन से कई बार यह आग्रह किया कि मोइत्रा को सदन में अपना पक्ष रखने का मौका मिले, लेकिन लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने पहले की संसदीय परिपाटी का हवाला देते हुए इससे इनकार कर दिया।
सदन में चर्चा के बाद जोशी द्वारा रखे गए प्रस्ताव का उल्लेख करते हुए बिरला ने कहा, ‘‘महुआ मोइत्रा के खिलाफ सदन में प्रश्न पूछने के बदले नकदी लेने में प्रत्यक्ष संलिप्तता के संदर्भ में सांसद निशिकांत दुबे द्वारा 15 अक्टूबर को दी गई शिकायत पर आचार समिति की पहली रिपोर्ट पर विचार के उपरांत समिति के इन निष्कर्षों को यह सभा स्वीकार करती है कि सांसद महुआ मोइत्रा का आचरण अनैतिक और संसद सदस्य के रूप में अशोभनीय है। इस कारण उनका लोकसभा सदस्य बने रहना उपयुक्त नहीं होगा। इसलिए यह सभा संकल्प करती है कि उन्हें लोकसभा की सदस्यता से निष्कासित कर दिया जाए।’’