मणिपुर में हिंसा अभी थमी नहीं है। वहीं एक बार फिर महिला के साथ दरिदंगी और हत्या का मामला सामने आया है। जिरिबाम जिले के एक गांव में 31 साल की आदिवासी महिला के साथ रेप किया गया और इसके बाद उसे आग के हवाले कर दिया गया।
महिला तीन बच्चों की मां थी। जानकारी के मुताबिक गुरुवार को ही कुछ हथियारबंद लोगों ने घर पर हमला किया था।
मृतक महिला के पति ने थाने में एफआईआर दर्ज करवाई है। प्राथिमिकी के मुताबिक सांप्रदायिक और जातीय आधार पर यह हिंसा की गई है। शुक्रवार देर रात तक आरोपियों की पहचान नहीं हो पाई थी। कहा जा रहा है कि आरोपी घाटी के ही रहने वाले हैं।
पीड़िता के पति ने कहा कि जौरावन गांव में पहले घर पर हमला हुआ। इसके बाद महिला के साथ दरिंदगी की गई और उसकी हत्या कर दी गई। बता दें कि मणिपुर में पहली भी इस तरह की घटनाएं सामने आ चुकी हैं। यहां एक आदिवासी महिला को नग्न करके परेड करवाने का भी मामला सामने आया था। पुलिस ने कहा कि महिला के शव को असम फॉरेंसिक टेस्ट के लिए भेजा गया है।
जिरिबाम के एसपी ने बताया कि राजधानी में ऑटोप्सी और फरेंसिक जांच की सुविधा हैं लेकिन जिरिबाम से इंफाल शव ले जाना बहुत मुश्किल है। बता दें कि जिरिबाम में ही 7 सितंबर को हुई झड़प में सात लोगों की मौत हो गई थी। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया था उग्रवादियों के एक समूह ने छह घरों में आग लगा दी। उन्होंने कहा, ”प्रारंभिक खबरों से पता चला है कि हमले के दौरान कई ग्रामीण भागने में सफल रहे और उन्होंने पास के जंगल में शरण ली। आगजनी के कारण कम से कम छह घर बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए और मामले की जांच की जा रही है।”
कुकी-जो समुदायों ने दावा किया कि हमले के दौरान गांव की एक महिला की मौत हो गई, लेकिन जिला पुलिस ने मौत की खबर की पुष्टि नहीं की है। पिछले वर्ष मई माह से मणिपुर में जातीय हिंसा जारी है और अब तक 200 से अधिक लोग मारे गए हैं।
यह हिंसा तीन मई को उस समय भड़की जब मेइती समुदाय द्वारा अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ का आयोजन किया गया था। मणिपुर की कुल जनसंख्या में मेइती समुदाय के लोगों की संख्या करीब 53 प्रतिशत है और वे मुख्यतः इंफाल घाटी में रहते हैं, जबकि नगा और कुकी समेत आदिवासी समुदायों की आबादी 40 प्रतिशत है तथा वे लोग मुख्य रूप से पहाड़ी जिलों में रहते हैं।