हर किसी के जीवन में ग्रह नक्षत्र और कुंडली का खास महत्व होता हैं माना जाता हैं कि अगर किसी जातक की कुंडली में सभी ग्रह मजबूत होते हैं और शुभ फल प्रदान करते हैं तो इसका सकारात्मक प्रभाव व्यक्ति के जीवन पर भी देखने को मिलता हैं लेकिन वही अगर कुंडली में कोई ग्रह कमजोर स्थिति में हैं या फिर अशुभ सफल प्रदान कर रहा हैं तो इसका सीधा असर व्यक्ति के जीवन पर होता हैं जिससे जातक को शारीरिक, मानसिक और आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ता हैं।
ऐसे में अगर आपकी कुंडली में मंगल की स्थिति कमजोर हैं और वह अशुभ फल प्रदान कर रहा हैं तो ऐसे में आप हर मंगलवार के दिन हनुमान पूजा करे साथ ही श्री मंगल देव का ध्यान करते हुए श्री मंगल अष्टोत्त्रशतनामावली का विधिवत पाठ करें माना जाता हैं कि इस उपाय को अगर हर मंगलवार के दिन किया जाए तो मंगल दोष से मुक्ति मिलती हैं और जीवन में सुख शांति व समृद्धि का आगमन होता हैं।
श्री मंगल अष्टोत्त्रशतनामावली-
ओं महीसुताय नमः ।
ओं महाभागाय नमः ।
ओं मङ्गलाय नमः ।
ओं मङ्गलप्रदाय नमः ।
ओं महावीराय नमः ।
ओं महाशूराय नमः ।
ओं महाबलपराक्रमाय नमः ।
ओं महारौद्राय नमः ।
ओं महाभद्राय नमः । ९
ओं माननीयाय नमः ।
ओं दयाकराय नमः ।
ओं मानदाय नमः ।
ओं अमर्षणाय नमः ।
ओं क्रूराय नमः ।
ओं तापपापविवर्जिताय नमः ।
ओं सुप्रतीपाय नमः ।
ओं सुताम्राक्षाय नमः ।
ओं सुब्रह्मण्याय नमः । १८
ओं सुखप्रदाय नमः ।
ओं वक्रस्तम्भादिगमनाय नमः ।
ओं वरेण्याय नमः ।
ओं वरदाय नमः ।
ओं सुखिने नमः ।
ओं वीरभद्राय नमः ।
ओं विरूपाक्षाय नमः ।
ओं विदूरस्थाय नमः ।
ओं विभावसवे नमः । २७
ओं नक्षत्रचक्रसञ्चारिणे नमः ।
ओं क्षत्रपाय नमः ।
ओं क्षात्रवर्जिताय नमः ।
ओं क्षयवृद्धिविनिर्मुक्ताय नमः ।
ओं क्षमायुक्ताय नमः ।
ओं विचक्षणाय नमः ।
ओं अक्षीणफलदाय नमः ।
ओं चक्षुर्गोचराय नमः ।
ओं शुभलक्षणाय नमः । ३६
ओं वीतरागाय नमः ।
ओं वीतभयाय नमः ।
ओं विज्वराय नमः ।
ओं विश्वकारणाय नमः ।
ओं नक्षत्रराशिसञ्चाराय नमः ।
ओं नानाभयनिकृन्तनाय नमः ।
ओं कमनीयाय नमः ।
ओं दयासाराय नमः ।
ओं कनत्कनकभूषणाय नमः । ४५
ओं भयघ्नाय नमः ।
ओं भव्यफलदाय नमः ।
ओं भक्ताभयवरप्रदाय नमः ।
ओं शत्रुहन्त्रे नमः ।
ओं शमोपेताय नमः ।
ओं शरणागतपोषकाय नमः ।
ओं साहसिने नमः ।
ओं सद्गुणाय नमः
ओं अध्यक्षाय नमः । ५४
ओं साधवे नमः ।
ओं समरदुर्जयाय नमः ।
ओं दुष्टदूराय नमः ।
ओं शिष्टपूज्याय नमः ।
ओं सर्वकष्टनिवारकाय नमः ।
ओं दुश्चेष्टवारकाय नमः ।
ओं दुःखभञ्जनाय नमः ।
ओं दुर्धराय नमः ।
ओं हरये नमः । ६३
ओं दुःस्वप्नहन्त्रे नमः ।
ओं दुर्धर्षाय नमः ।
ओं दुष्टगर्वविमोचकाय नमः ।
ओं भरद्वाजकुलोद्भूताय नमः ।
ओं भूसुताय नमः ।
ओं भव्यभूषणाय नमः ।
ओं रक्ताम्बराय नमः ।
ओं रक्तवपुषे नमः ।
ओं भक्तपालनतत्पराय नमः । ७२
ओं चतुर्भुजाय नमः ।
ओं गदाधारिणे नमः ।
ओं मेषवाहाय नमः ।
ओं मिताशनाय नमः ।
ओं शक्तिशूलधराय नमः ।
ओं शक्ताय नमः ।
ओं शस्त्रविद्याविशारदाय नमः ।
ओं तार्किकाय नमः ।
ओं तामसाधाराय नमः । ८१
ओं तपस्विने नमः ।
ओं ताम्रलोचनाय नमः ।
ओं तप्तकाञ्चनसङ्काशाय नमः ।
ओं रक्तकिञ्जल्कसन्निभाय नमः ।
ओं गोत्राधिदेवाय नमः ।
ओं गोमध्यचराय नमः ।
ओं गुणविभूषणाय नमः ।
ओं असृजे नमः ।
ओं अङ्गारकाय नमः । ९०
ओं अवन्तीदेशाधीशाय नमः ।
ओं जनार्दनाय नमः ।
ओं सूर्ययाम्यप्रदेशस्थाय नमः ।
ओं यौवनाय नमः ।
ओं याम्यदिङ्मुखाय नमः ।
ओं त्रिकोणमण्डलगताय नमः ।
ओं त्रिदशाधिपसन्नुताय नमः ।
ओं शुचये नमः ।
ओं शुचिकराय नमः । ९९
ओं शूराय नमः ।
ओं शुचिवश्याय नमः ।
ओं शुभावहाय नमः ।
ओं मेषवृश्चिकराशीशाय नमः ।
ओं मेधाविने नमः ।
ओं मितभाषणाय नमः ।
ओं सुखप्रदाय नमः ।
ओं सुरूपाक्षाय नमः ।
ओं सर्वाभीष्टफलप्रदाय नमः । १०८
इति श्री मंगल अष्टोत्तरशतनामावली ||