नई दिल्ली. भारत में 2012 से ‘अत्यंत भारी’ और ‘बहुत भारी’ बारिश की संख्या में काफी बढ़ोतरी देखने को मिली है. केंद्रीय पृथ्वी एवं विज्ञान मंत्रालय के आंकड़ों में यह बात सामने आई है. डाटा के मुताबिक, 2012 में देश के 185 स्टेशन ऐसे थे, जहां ‘अत्यंत भारी’ बारिश रिकॉर्ड किया गया, जबकि 2020 में ऐसे स्टेशनों की संख्या में करीब 85 प्रतिशत का इजाफा हुआ और यह बढ़कर 341 पहुंच गई.
इसी तरह से साल 2019 में देश के 554 स्टेशनों में ‘अत्यंत भारी’ बारिश हुई, जो कि 2012 के बाद सबसे अधिक है. इसके साथ ही सीएनएन-न्यूज 18 के पास मौजूद मंत्रालय के आंकड़ों में कहा गया है कि कम से कम 3,056 स्टेशनों ने ‘बहुत भारी’ बारिश की सूचना दी, जो 2012 के बाद से सबसे अधिक है.
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15 मिमी से नीचे दर्ज की गई वर्षा को ‘हल्का’ माना जाता है, जबकि 15 से 64.5 मिमी के बीच बारिश को ‘मध्यम’ और 64.5 मिमी से 115.5 मिमी के बीच की बारिश को ‘भारी’ की श्रेणी में रखा जाता है. इसी तरह से 115.6 मिमी से 204.4 मिमी के बीच बारिश को ‘बहुत भारी’ और 204.4 मिमी से ऊपर की को ‘अत्यंत भारी’ बारिश माना जाता है.
2012 में दक्षिण-पश्चिम मानसून के दौरान जून से सितंबर माह तक 1251 स्टेशनों में ‘बहुत भारी’ वर्षा दर्ज की गई थी. वहीं, 2020 में 1912 स्टेशनों पर ‘बहुत भारी’ बारिश रिकॉर्ड की गई, जो कि 2012 से लगभग 53 प्रतिशत ज्यादा था.