प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब से हैदराबाद को भाग्यनगर कहा है, तब से इस ऐतिहासिक शहर का नाम बदलने की चर्चाएं गर्म हो गई हैं। भाजपा नेता पहले भी हैदराबाद का नाम बदलने की मांग कर चुके हैं हालांक विपक्षियों ने यह कहकर विरोध किया है कि हैदराबाद का नाम भाग्यनगर कभी नहीं था। बीते दिन भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हैदराबाद में हुई। दरअसल दक्षिण में कर्नाटक के बाद अब भाजपा की नजर तेलंगाना पर है।
भाजपा सरकार ने कई शहरों के नाम बदल दिए हैं। अब चर्चा है कि हैदराबाद का नाम बदलकर भाग्यनगर किया जा सकता है। अब सवाल ये उठ रहे हैं कि क्या वाकई में हैदराबाद का पुराना नाम भाग्यनगर है? अगर ऐसा है तो इसका नाम बदल कैसे गया? आइए जानते हैं कि इसके पीछे कौन-कौन सी थ्योरी हैं।
हैदराबाद के नक्शे में था भाग्यनगर का जिक्र
1816 में एक ब्रिटिश नागरिक एरॉन एरो ने हैदराबाद का नक्शा तैयार किया था जिसमें हैदराबाद के नीचे गोलकुंडा और भाग्यनगर भी लिखा गया था। इससे पता लगता है कि पहले शहर को भाग्यनगर और गोलकुंडा भी कहा जाता था। नीनीशेट्टी शिरीष कि किताब ‘गोलकुंडा, हैदराबादा और भाग्यनगर’ में यह नक्शा प्रकाशित किया गया है।
सुल्तान और भगमती की थ्योरी
भाग्यनगर के बारे में जो सबसे फेमस थ्योरी है वह है गोलकुंडा सल्तनत के सुल्तान मोहम्मद कुली कुतुब शाह और भागमती की लवस्टोरी। बताया जाता है कि यह बात 1565 से 1612 के बीच की है जब सल्तनत के राजकुमार घोड़े पर सवार हो निकले थे और रास्ते में उन्हें भागमती से प्यार हो गया। भागवती बहुत सुंदर थीं। जब वह सुल्तान बनें तो उन्होंने भागवती से शादी कर ली और उन्होंने एक नया नगर बसाया जिसे भाग्यनगर के नाम से जाना गया। वहीं दूसरी थ्योरी यह भी है कि भागमती की शादी के बाद उन्होंने अपना नाम हैदर बेगम कर लिया। इसलिए शहर का नाम हैदराबाद पड़ा। हालांकि इतिहासकार इस थ्योरी को नकारते हैं।
‘बागों’ का शहर
दूसरी थ्योरी यह कहती है कि जब गोलकुंडा के सुल्तान अपने पुराने महल और शहर से ऊब गए तो उन्होंने मूसी नदी के किनारे बड़ा बगीचा लगवाया और वहीं रहने लगे। इसके बाद इसी शहर को बागनगर के नाम से जाना गया। इसके बाद जब सुल्तान मोहम्मद कुली कुतुब शाह ने नया शहर बनाना चाहा तो बागनगर का ही नाम बदलकर हैदराबाद कर दिया। हैदर शिया के पहले इमाम के बेटे थे जिन्हें अली भी कहा जाता है।
देवी भाग्यलक्षमी के नाम पर शहर?
चारमीनार के पास में भाग्यलक्ष्मी का मंदिर है। इतिहासकारों का दावा है कि यह चारमीनार के निर्माण से पहले से है। यह मंदिर करीब 800 साल पुराना बताया जाता है। पुजारी के मुताबिक यहां एक पत्थर था जिसपर देवी की तस्वीर थी। जो कि अब टूट गया है और नई प्रतिमा स्थापित की गई है। जब यह साफ होने लगा कि कुछ ही दिनों में भारत आजाद हो जाएगा तो हैदराबाद के निजाम ने इसे अलग रियासत घोषित कर दिया। तब हिंदुओं ने यहां से बड़ी संख्या में पलायन किया।
2020 में योगी ने की थी नाम बदलने की मांग
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हैदराबाद का नाम भाग्यनगर करने की बात कही थी। 2020 में ग्रेटर हैदराबाद म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन का चुनाव प्रचार करने पहुंचे योगी ने कहा था कि इसका नाम फिर से भाग्यनगर किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा था, हमने फैजाबादा का नाम फिस से अयोध्या किया, इलाहाबाद का प्रयागराज किया तो हैदराबाद का नाम फिर से भाग्यनगर क्यों नहीं हो सकता? योगी आदित्यनाथ भाग्यलक्ष्मी मंदिर में पूजा करने भी पहुंचे थे। इस मंदिर में अमित शाह, आरएसएस चीफ मोहन भागवत भी जा चुके हैं।