केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह आज पटना आ रहे हैं। इस दौरान पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की 26वीं मींटिग की अध्यक्षता करेंगे। जबकि सीएम नीतीश कुमार उपाध्यक्षता करेंगे। बिहार में महागठबंधन सरकार के गठन और इंडिया गठबंधन के बनने के बाद बिहार की धरती पर ये पहला मौका होगा।
जब अमित शाह और नीतीश कुमार का आमना-सामना होगा। इससे पहले इसी कोलकाता में हुई पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की बैठक में नीतीश कुमार की बजाय डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने बिहार का प्रतिनिधित्व किया था।
इस बार अमित शाह किसी चुनावी रैली को संबोधित करने पटना नहीं आ रहे। बल्कि एक सरकारी मीटिंग की अध्यक्षता के लिए पहुंच रहे हैं। ऐसे में देखने वाली बात ये होगी कि शाह और नीतीश की बॉडी लैंग्वेज कैसी रहेगी। क्योंकि इससे पहले चुनावी रैलियों में तो शाह नीतीश को घेरते ही नजर आए हैं। कभी पलटूराम, तो कभी सत्ता के लिए लालू की गोद में बैठने वाला करार दे चुके हैं।
वहीं नीतीश कुमार भी केंद्र के कार्यक्रमों से दूरी बनाए हुए थे। लेकिन अब पटना में होने वाली पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की बैठक में अमित शाह और नीतीश कुमार का आमना-सामने एक अर्से बाद होगा। हालांकि इस बैठक में तीन अन्य राज्यों झारखंड, पश्चिम बंगाल और ओडिशा के मुख्यमंत्री मौजूद नहीं रहेंगे। बल्कि उनके प्रतिनिधि बैठक में हिस्सा लेंगे।
नीतीश कुमार और उनके मंत्री विजय चौधरी कह चुके हैं कि वो बैठक में बिहार को विशेष दर्जा देने की मांग को प्रमुखता से उठाएंगे। क्योंकि स्पेशल स्टेट्स का मुद्दा नीतीश सरकार का विशेष एजेंडा है। जिसको लेकर हाल ही में जेडीयू की भीम संसद में नीतीश ने केंद्र सरकार पर बिहार की अनदेश का आरोप मढ़ा और कहा था कि अगर केंद्र की तरफ से सकारात्मक रिपॉन्स नहीं मिला तो वो एक बड़ा आंदोलन चलाएंगे। जिसके लिए उन्होने जनता से भी समर्थन मांगा था।
पटना में ईजेडसी की ये 5वीं बार बैठक होगी। जिसमें बिहार से झारखंड के अलग होने के बाद 22 साल से लटके पेंशन बंटवारा के मुद्दे को फिर रखा जाएगा। पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की बैठक में पूर्वी राज्यों के बीच आर्थिक विकास एवं नक्सल उन्मूलन तथा परिवहन के विस्तार को लेकर समन्वय बढ़ाने पर जोर दिए जाने पर विमर्श होगा। ऐसे में देखना होगा कि नीतीश और शाह की ये मुलाकात बिहार के विकास के लिए कितनी कारगर साबित होगी।