भाजपा ने मध्य प्रदेश में टिकट बंटवारा शुरू कर दिया है और अब तक दो लिस्ट जारी कर दी गई हैं। सोमवार रात को पार्टी ने दूसरी लिस्ट जारी की तो चौंकाते हुए नरेंद्र सिंह तोमर समेत तीन केंद्रीय मंत्रियों को मैदान में उतार दिया।
यही नहीं छत्तीसगढ़ में भी टिकट बांटना शुरू कर दिया है, लेकिन अब तक कौन प्रचार लीड करेगा और सीएम पद का चेहरा होगा, यह तय नहीं है। राजस्थान की भी कमोबेश यही स्थिति है और भाजपा लगातार सामूहिक नेतृत्व की ही बात कर रही है। मध्य प्रदेश में शिवराज अपने लिए कुछ भी बोलने से बच रहे हैं तो राजस्थान में वसुंधरा और छत्तीसगढ़ में रमन सिंह भी भरोसे में नहीं हैं कि क्या होगा। राजस्थान में तो भाजपा खुद ही सामूहिक लीडरशिप की बात कह चुकी है।
इस बीच भाजपा सूत्रों का कहना है कि पार्टी 5 राज्यों के चुनाव में कहीं भी सीएम फेस घोषित करके मैदान में नहीं उतरेगी। तीन हिंदी प्रदेशों के अलावा मिजोरम और तेलंगाना के लिए भी यही रणनीति होगी। सूत्रों के मुताबिक इसकी वजह यह है कि भाजपा किसी पुराने नेता की एंटी-इनकम्बैंसी नहीं चाहती। इसके अलावा उनकी लोकप्रियता भी है। ऐसे में उन्हें साइडलाइन करने से नुकसान होगा, यह भी समझती है। इसलिए सामूहिक नेतृत्व की बात करते हुए पीएम नरेंद्र मोदी को आगे कर चुनाव लड़ रही है। इसके साथ ही शिवराज, वसुंधरा जैसे नेता भी साथ हैं ताकि स्थानीय स्तर पर उनकी लोकप्रियता को भी भुनाया जा सके।
क्यों किसी एक चेहरे को आगे नहीं कर रही पार्टी, क्या रणनीति
इस तरह भाजपा राज्य में किसी एक चेहरे के भरोसे उतरने का रिस्क नहीं ले रही है। मध्य प्रदेश में तो कयास ही तेज हो गए हैं क्योंकि अब तक जारी लिस्ट में सीएम शिवराज सिंह चौहान का नाम शामिल नहीं है। चर्चा होने लगा है कि एंटी-इनकम्बैंसी से बचने के लिए 64 वर्षीय चौहान को हटाया जा सकता है। हालांकि पार्टी के सूत्र ऐसी बातों को पूरी तरह खारिज कर रहे हैं और उनका कहना है कि भले ही बड़े नेताओं को पार्टी ने उतारकर चुनाव में माहौल बनाया है, लेकिन शिवराज का कद जस का तस ही रहेगा। लेकिन यह कहकर चर्चाएं बढ़ा भी देते हैं कि सीएम पद को लेकर फैसला चुनाव के बाद ही होगा।
राजस्थान और MP में लंबे समय बाद बिना चेहरे के उतरने का प्लान
राजस्थान और मध्य प्रदेश में लंबे समय बाद ऐसा होगा, जब भाजपा बिना सीएम फेस के ही मैदान में उतरेगी। मध्य प्रदेश की तरह ही राजस्थान में भी वसुंधरा को लेकर चर्चाओं का दौर जारी है। सूत्रों का कहना है कि भाजपा वसुंधरा को किनारे करने की बजाय विकल्प खुले रखना चाहती है। साफ है कि वसुंधरा की संभावनाएं खत्म नहीं हैं, लेकिन दबाव जरूर रहेगा। केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और अर्जुन राम मेघवाल को भी उनके प्रतिद्वंद्वियों के तौर पर देखा जा रहा है। छत्तीसगढ़ में भी पार्टी रमन सिंह और अरुण साव के विकल्प रखकर चल रही है, लेकिन पहले कुछ भी तय करने का प्लान नहीं है। पार्टी का कहना है कि उसने 2017 में यूपी में भी ऐसा किया था और उसका लाभ मिला था।