वाराणसी: जार्जिया की तर्ज पर वाराणसी में कोरोना का इलाज किया जाएगा. जार्जिया की फेज थेरेपी के तर्ज पर अब बीएचयू वैज्ञानिकों ने गंगा जल से कोरोना के इलाज का दावा किया है. वैज्ञानिकों की याचिका पर हाईकोर्ट ने आईसीएमआर और आयुष मंत्रालय को नोटिस जारी कर बीएचयू वैज्ञानिकों के शोध का क्लिनिकल ट्रायल करने की बात कही है.
बीएचयू वैज्ञानिकों ने खोज निकाला स्प्रे फेज थेरैपी का खास इलाज
कोरोना की तीसरी लहर की आशंका हर किसी को भयभीत कर रही है. बीएचयू के वैज्ञानिकों ने तीसरी लहर से पहले एक ऐसा स्प्रे खोज निकाला है, जो गंगा के पानी से बना है. इस स्प्रे को कुल छह बार प्रयोग में लाकर कोरोना से राहत पाने का दावा है और इस दावे को सिद्ध करता है जार्जिया का फेज थेरेपी का सिद्धांत. सीनियर डाक्टर वीएन मिश्र की मानें तो गंगा के पानी में दैवीय गुण है और फेज का भंडार है. वायरस को वायरस से खत्म करने का सिद्धांत पहले विदेशों में था, अब इसी को आधार बनाकर एक शोध किया गया है, जिसके क्लिनिकल ट्रायल की बात कोर्ट ने कही है.
गंगा नदी में फेज का भंडार
आपको बता दें कि, गंगा के पानी में औषधियों का भंडार है. पहले भी गंगा किनारे गंगा स्नान करने वाले कोरोना से मुक्त रहे हैं. ये शोध सामने आए हैं. इसके साथ ही तमाम तरह के बड़े उदाहरण हैं, जो गंगा के जल में औषधीय गुण होने की बात सिद्ध करते हैं. नमामी गंगे के संयोजक राजेश शुक्ल की माने तो इन दैवीय गुणों को महसूस किया है.
क्लिनिकल ट्रायल में स्प्रे सफल हुआ तो सस्ता होगा इलाज
फेज थेरैपी को काशी के वैज्ञानिकों ने खोजकर अब इलाज के लिए चुना है. बीएचयू के वैज्ञानिकों के शोध का क्लिनिकल ट्रायल अब होने के साथ ही जो तथ्य सामने आएंगे ये तो देखने वाली बात होगी, लेकिन अगर ट्रायल में नॉजल स्प्रे सफल साबित होता है तो आने वाले दिनों में कोरोना विजय के साथ सस्ते इलाज का सपना साकार हो सकेगा.