दिल्ली हाई कोर्ट के जजों, उसके कर्मचारियों और परिजनों के लिए लिए फाइव स्टार होटल में कोविड केयर सेंटर बनाने के केजरीवाल सरकार के आदेश पर अब हाई कोर्ट ने स्वतं संज्ञान लिया है। कोर्ट ने कहा है कि जजों के लिए कभी भी पांच सितारा होटल में 100 बिस्तरों की सुविधा नहीं मांगी गई। हमने खबरों को पढ़ा हैष हमने कोई भी आग्रह नहीं किया था। आप कल्पना कीजिए यह हम कैसे कह सकते हैं। लोगों को अस्पताल नहीं मिल रहे और हम आपसे लग्जरी होटल में बेड मांग रहे हैं। मीडिया गलत नहीं है, आपका आर्डर गलत है। आप किसी एक श्रेणी के लिए सुविधा कैसे दे सकते हैं। कोर्ट ने दिल्ली सरकार को इसका जवाब देने के लिए कहा है। अब गुरुवार को इस मामले में सुनवाई होगी।
जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस रेखा पल्ली की बेंच ने उन मीडिया रिपोर्ट्स का खुद संज्ञान लिया, जिसमें कहा गया था राष्ट्रीय राजधानी के अशोका होटल के 100 कमरों को दिल्ली हाई कोर्ट के अनुरोध पर उसके जजों के लिए कोविड-19 स्वास्थ्य केंद्र में बदला गया है।
पीठ ने कहा, ‘इस संबंध में किसी से भी कोई संवाद नहीं किया गया।’ उसने कहा, ‘हमने किसी पांच सितारा होटल को कोविड-19 केंद्र में बदलने जैसा कोई आग्रह नहीं किया है।’ पीठ ने दिल्ली सरकार से ‘तत्काल सुधारात्मक कदम उठाने को’ कहा। हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया है। सरकार ने कहा है कि इसके पीछे कोई दुर्भावना नहीं थी। हाईकोर्ट ने कहा कि अच्छा होगा कि आप ये आदेश तुरंत वापस लें। सरकार ने कहा कि हम तुरंत वापस लेंगे।
बता दें कि चाणक्यपुरी के एसडीएम की तरफ से 25 अप्रैल को जारी आदेश में कहा गया था कि अशोका होटल में कोविड-19 केंद्र को प्राइमस सुपर स्पेशलिटी अस्पताल से लिंक किया जाएगा। पीठ ने आदेश को ‘गलत’ बताते हुए कहा कि इसके कारण यह छवि पेश हुई है कि दिल्ली हाई कोर्ट के जजों ने यह आदेश अपने लाभ के लिए जारी किया है या दिल्ली सरकार ने अदालत को खुश करने के लिए ऐसा किया है।
कोर्ट ने दिल्ली सरकार के वकील राहुल मेहरा के इस दावे से असहमति जताई कि मीडिया ने ‘बदमाशी’ की। बेंच ने कहा, ‘मीडिया ने कुछ गलत नहीं किया।’ कोर्ट ने कहा कि मीडिया ने केवल यह बताया कि आदेश में क्या गलत था और गलत एसडीएम का आदेश था।