आखिर वह हो ही गया जिसकी आशंका आम आदमी पार्टी को लंबे वक्त से सता रही थी। कथित शराब घोटाले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को गुरुवार शाम प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की टीम ने गिरफ्तार कर लिया।इस बीच आम आदमी पार्टी ने साफ कर दिया है कि गिरफ्तारी के बावजूद केजरीवाल अपना पद नहीं छोड़ने जा रहे हैं और जेल में रहकर ही सरकार चलाएंगे।
आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल को लंबे समय से गिरफ्तारी की आशंका सता रही थी। इसी से संरक्षण हासिल करने के लिए आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक ने लगातार दूसरे दिन दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। गुरुवार को हाई कोर्ट ने ईडी की सबूतों वाली फाइल भी देखी और फिर केजरीवाल को राहत देने से इनकार कर दिया।
कोर्ट से केजरीवाल को झटका लगने के कुछ देर बाद ही ईडी की टीम उनके घर पर पहुंच गई। करीब दो घंटे तक पूछताछ के बाद केजरीवाल को गिरफ्तार कर लिया। केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद आम आदमी पार्टी ने साफ कर दिया कि वह मुख्यमंत्री की कुर्सी नहीं छोड़ने जा रहे हैं। दिल्ली सरकार की मंत्री आतिशी ने कहा कि केजरीवाल को गिरफ्तार कर लिया गया है। लेकिन वह जेल से ही सरकार चलाएंगे। आतिशी ने कहा, ‘वह दिल्ली के मुख्यमंत्री बने रहेंगे।’ आतिशी ने कहा कि जरूरत पड़ी तो सुप्रीम कोर्ट में केस फाइल करके विशेष इजाजत ली जाएगी कि केजरीवाल जेल में अधिकारियों और कैबिनेट की बैठक ले सकें।
दिल्ली में चलाया था अभियान
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को पिछले साल अक्टूबर में ही ईडी ने समन भेजा था। तब से ही आम आदमी पार्टी को उनकी गिरफ्तारी की आशंका जता रही थी। इसको देखते हुए आम आदमी पार्टी ने ‘मैं भी केजरीवाल’ नाम से एक कैंपेन चलाया था और दिल्ली के लोगों से पूछा था कि गिरफ्तारी की सूरत में केजरीवाल को इस्तीफा देना चाहिए या जेल से सरकार चलानी चाहिए। आम आदमी पार्टी ने दावा किया था कि दिल्ली की अधिकतर जनता इस पक्ष में है कि केजरीवाल जेल से सरकार चलाएं।
क्या संभव है जेल सरकार चलाना?
लालू प्रसाद यादव से लेकर हेमंत सोरेन तक कई मुख्यमंत्रियों को भ्रष्टाचार के आरोपों में जेल जाना पड़ा है। हालांकि, इन सभी नेताओं ने जेल जाने से पहले अपना पद छोड़ दिया। लेकिन यदि केजरीवाल इस्तीफा नहीं देते हैं तो यह संभवत: पहला मौका होगा जब कोई मुख्यमंत्री जेल के अंदर बंद होगा। बड़ा सवाल उठता है कि क्या केजरीवाल जेल से सरकार चला सकते हैं? जानकारों की मानें तो केजरीवाल के सामने ऐसी कोई कानूनी बाध्यता तो नहीं है। संविधान में इस बात का कहीं उल्लेख नहीं है कि यदि किसी मंत्री या मुख्यमंत्री को गिरफ्तार किया जाता है तो उसे पद छोड़ना होगा या नहीं। हालांकि, यह नैतिकता का प्रश्न जरूर है।
यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि केजरीवाल ने अपने पास कोई विभाग नहीं रखा है। हालांकि, उन्हें कैबिनेट की बैठकें लेनी होती है और अफसरों से मीटिंग और फाइलों को निपटाने समेत कई कामकाज करने होते हैं। माना जा रहा है कि यदि केजरीवाल जेल में रहते हुए मुख्यमंत्री का पद संभालते हैं तो सरकार के कामकाज में बाधा जरूर आएगी। इससे पहले जब मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन को गिरफ्तार किया गया था तो वह महीनों तक मंत्री बने रहे थे। हालांकि, उनके मंत्रालय दूसरे मंत्रियों को सौंप दिए गए थे।