इस बार 22 अप्रैल 2023, शनिवार के दिन भगवान परशुराम की जयंती मनाई जाएगी. भगवान परशुराम का जन्म वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हुआ था. इस दिन अक्षय तृतीया का त्यौहार भी मनाया जाता है.
भगवान परशुराम ने हिन्दू धर्म को बढ़ाने का काम किया था. परशुराम भगवान को विष्णु जी के छठा अवतार माना जाता है.
भगवान परशुराम जी ने एक युद्ध में 21 प्रजा शोषक, धर्मांध एवं आताताई राजाओं का संहार किया था. मगर दुष्प्रचार की वजह से यह बताया गया कि इन्होंने 21 बार पृथ्वी को क्षत्रिय विहीन कर दिया था. किसी धर्म जाति वर्ण या वर्ग विशेष के आराध्य ही नहीं बल्कि वे समस्त मानव मात्र के आराध्य हैं. इस दिन विष्णु जी की आराधना करने से खास फल की प्राप्ति होती है. परशुराम भगवान का नाम जब भी आता है तो क्रोध का ज्ञान होता है. अब बताते हैं भगवान परशुराम की जन्म कथा के बारे में.
भगवान परशुराम के जन्म की कथा:-
पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, भगवान परशुराम को प्रभु श्री विष्णु के छठवें अवतार के रूप में माना जाता है. उन्हें चिरंजीवी रहने का वरदान प्राप्त हुआ था. उनके पिता ऋषि जमदग्नि थे. ऋषि जमदग्नि ने चंद्रवंशी राजा की पुत्री रेणुका से विवाह किया था. ऋषि जमदग्नि एवं रेणुका ने पुत्र की प्राप्ति के लिए एक महान यज्ञ किया. इस यज्ञ से खुश होकर इंद्रदेव ने उन्हें तेजस्वी पुत्र का वरदान दिया तथा अक्षय तृतीया के दिन परशुराम जी ने जन्म लिया. ऋषि ने अपने पुत्र का नाम राम रखा था. राम ने शस्त्र का ज्ञान भगवान महादेव से प्राप्त किया तथा महादेव ने प्रसन्न होकर उन्हें अपना फरसा मतलब परशु प्रदान किया. तत्पश्चात, वह परशुराम कहलाए. परशुराम को चिरंजीवी बोला जाता है वह आज भी जीवित हैं. उनका वर्णन रामायण एवं महाभारत दोनों काल में होता है. श्री कृष्ण को उन्होंने सुदर्शन चक्र उपलब्ध करवाया था तथा महाभारत काल में भीष्म, द्रोणाचार्य और कर्ण को अस्त्र-शस्त्र का ज्ञान दिया था.