मध्य प्रदेश की महाकाल की नगरी उज्जैन में दुनिया की पहली वैदिक घड़ी का लोकार्पण 1 मार्च को होना है। पीएम मोदी इसका वर्चुअल लोकार्पण करेंगे। इस घडी की खासियत यह है कि यह पूरी तरह वैदिक है।
इसमें घंटे मिनट और सेकंड की सुई नहीं है जो आम घड़ियों में देखी जाती है। यह पूरी तरह डिजिटल है। घड़ी में 48 मिनट का एक घंटा होगा। यह घड़ी काल गणना के साथ मुहूर्त, ग्रहण तिथि, वार, पर्व, व्रत, शुभ मुहूर्त, चौघड़िया योग, ग्रह-भद्रा स्थिति, सूर्य-चंद्र ग्रहण के साथ त्यौहार भी दर्शाएगी। इसका निर्माण सीएम मोहन यादव के विधायक रहते शुरू किया गया था।
इंटरनेट से कनेक्टेड
यह घड़ी उज्जैन के जंतर-मंतर के पास 85 फुट ऊंचे बने टावर पर लगाई गई है। इसका इंस्टॉलेशन रविवार किया गया। घड़ी टावर की पांचवीं मंजिल पर लगाई गई है। यह पूरी तरह इंटरनेट से कनेक्टेड है। इसे 3 साल के ठेके पर दिया गया है। घड़ी को लोहे से बनाई फ्रेम में इंस्टाल किया गया है।
दुनिया की एकमात्र वैदिक घड़ी
यह दुनिया की एकमात्र वैदिक घड़ी है। इसे दिल्ली के आईआईटी छात्रों ने बनाया है। इस वैदिक घड़ी में ऋग्वेद के अनुसार, हिन्दू कालगणनाओं एवं ग्रीनविच समय पद्धति से एक साथ समय देखा जा सकेगा। इसमें 30 घंटे, 30 मिनट एवं 30 सेकंड का समय दिखेगा। 18 से 20 लोगों की टीम ने मिलकर क्रेन की मदद से घड़ी को वॉच टावर पर सेट किया है।
तीन अलग-अलग समय की गणना
इस घड़ी में अलग-अलग समय के अनुसार, सूर्योदय का समय, शुभ मुहूर्त, विक्रम संवत कैलेंडर, मुहूर्त काल, राहु काल और पंचांग समेत तीन अलग-अलग समय गणनाओं का भी पता लगाया जा सकेगा। राजा विक्रमादित्य शोध पीठ के निदेशक डॉ. श्रीराम तिवारी ने बताया कि वैदिक घड़ी के लिए विधायक रहते डॉ. मोहन यादव ने अपनी निधि से साहयता राशि दी थी।
सनातन के अनुरूप नामकरण
इस पहल का मकसद उज्जैन की प्राचीन गौरवपूर्ण विरासत को वापस लाना है। उज्जैन के बाद इस घड़ी को देश के बाकी भागों में भी लगाने की योजना है। इसके अलावा विक्रम पंचांग का प्रकाशन भी किया जाएगा। डॉ. तिवारी के मुताबिक, हम इस घड़ी में हर मुहूर्त, समय पल आदि का नामकरण सनातन हिन्दू धर्म के अनुरूप ही रखेंगे।
30 घंटे की टाइमिंग
उज्जैन घड़ी के इंस्टालेशन का काम करने वाले सुशील गुप्ता ने बताया कि इस घड़ी में सूर्योदय से सूर्योदय तक 30 घंटे की टाइमिंग होगी। इसमें हमारा इंडियन स्टैंडर्ड टाइम है। इसके अनुसार 48 मिनट का एक घंटा है। यह वैदिक समय के साथ अलग-अलग मुहूर्त भी दिखाएगी। यह भारतीय कालगणना के कैलकुलेशन पर आधारित घड़ी है।
देश की प्राचीनतम वेधशाला
उज्जैन कर्क रेखा पर स्थित है। यह रेखा कभी शहर के बीच में रही थी। इसी कारण यहां कर्कराज मंदिर स्थित है। सम्राट विक्रमादित्य के नवरत्नों में से एक आचार्य वराहमिहिर का बड़ा योगदान कालगणना में रहा है। वराहमिहिर अपने ज्योतिष गणनाओं से ही किसी भी व्यक्ति के भविष्य की सटीक जानकारी दे दिया करते थे। स्वर्गीय पुरातत्वविद पद्मश्री डॉ. विश्री वाकणकर ने उज्जैन के पास डोंगला ग्राम में कर्क रेखा को खोजा था। कालांतर में राजा जयसिंह ने यहां देश की चार वेधशालाओं में से एक की स्थापना की थी।