सनातन धर्म में कई सारे व्रत त्योहार पड़ते हैं और सभी का अपना महत्व होता है लेकिन शारदीय नवरात्रि का त्योहार बहुत ही खास माना जाता है जो कि देवी साधना आराधना को समर्पित होता है इस दौरान भक्त देवी मां की विधि विधान से पूजा करते हैं और व्रत आदि भी रखते हैं मान्यता है कि ऐसा करने से देवी की अपार कृपा बरसती है इस साल शारदीय नवरात्रि का शुभारंभ 15 अक्टूबर से हो चुका है और समापन 23 अक्टूबर को हो जाएगा।
इस दौरान पूजा पाठ और व्रत के साथ ही अगर माता के गुणगान वाला श्री दुर्गा कवच का संपूर्ण पाठ श्रद्धा और विश्वास से साथ किया जाए तो देवी अति शीघ्र प्रसन्न हो जाती हैं और अपने भक्तों पर कृपा करती है साथ ही इस चमत्कारी पाठ को करने से परिवार पर आने वाला हर संकट टल जाता है साथ ही दुख मुसीबतें भी दूर रहती हैं, तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं श्री दुर्गा कवच पाठ।
श्री दुर्गा कवच-
ईश्वर उवाच
शृणु देवि प्रवक्ष्यामि कवचं सर्वसिद्धिदम् ।
पठित्वा पाठयित्वा च नरो मुच्येत संकटात् ॥ १ ॥
अज्ञात्वा कवचं देवि दुर्गामन्त्रं च यो जपेत् ।
न चाप्नोति फलं तस्य परं च नरकं व्रजेत् ॥ २ ॥
उमादेवी शिरः पातु ललाटे शूलधारिणी ।
चक्षुषी खेचरी पातु कर्णौ चत्वरवासिनी ॥ ३ ॥
सुगन्धा नासिकं पातु वदनं सर्वधारिणी ।
जिह्वां च चण्डिकादेवी ग्रीवां सौभद्रिका तथा ॥ ४ ॥
अशोकवासिनी चेतो द्वौ बाहू वज्रधारिणी ।
हृदयं ललितादेवी उदरं सिंहवाहिनी ॥ ५ ॥
कटिं भगवती देवी द्वावूरू विंध्यवासिनी ।
महाबला च जंघे द्वे पादौ भूतलवासिनी ॥ ६ ॥
एवं स्थिताऽसि देवि त्वं त्रैलोक्ये रक्षणात्मिका ।
रक्ष मां सर्वगात्रेषु दुर्गे देवि नमोऽस्तु ते ॥ ७ ॥
इति श्री दुर्गा देवि कवच पूर्ण ||