तमिलनाडु के राज्यपाल नियुक्त किए गए आरएन रवि ने नगा शांति वार्ता के वार्ताकार पद से इस्तीफा दे दिया है। गृह मंत्रालय ने उनके इस्तीफे को स्वीकार भी कर लिया। रवि 2014 से नगा उग्रवादी संगठन एनएससीएन-आईएम के साथ शांति वार्ता का हिस्सा थे। आरएन रवि को जुलाई 2019 में नगालैंड का राज्यपाल नियुक्त किया गया था। इस दौरान वे केंद्र सरकार की ओर से वार्ताकार की भूमिका भी निभा रहे थे। एनएससीएन-आईएम ने उन पर शांति वार्ता को अटकाने का आरोप लगाते हुए पिछले साल से उनसे वार्ता करने से इनकार कर दिया।
इस महीने की शुरुआत में रवि को तमिलनाडु के राज्यपाल के तौर पर नियुक्त किया गया। केंद्र सरकार ने पहले ही खुफिया ब्यूरो के पूर्व विशेष निदेशक एके मिश्रा को नगा संगठनों के साथ शांति वार्ता के लिए लगाया है। मिश्रा नगा विद्रोही संगठनों के साथ वार्ता बहाल भी कर चुके हैं। माना जा रहा है कि नगा शांति वार्ता के अगले वार्ताकार के तौर पर भी उन्हीं की नियुक्ति होगी। फिलहाल उनकी पहल के चलते असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व सरमा और नगालैंड के उनके समकक्ष नेफ्यू रियो ने मंगलवार का एनएससीएन-आईएम टी मुइवा के साथ बैठक की थी।
रवि ने अंतिम विवाद समाधान की दिशा में एक बड़े कदम के तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में तीन अगस्त, 2015 को मुइवा के साथ प्रारूप समझौते पर दस्तखत किए थे। इस समझौते से पहले 18 सालों तक 80 दौर की वार्ता हुई थी। 1997 में पहली सफलता तब मिली जब नगालैंड में दशकों के उग्रवाद के बाद संघर्ष विराम का समझौता हुआ। लेकिन शांति वार्ता पर प्रगति नहीं हुई क्योंकि नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड- इसाक मुइवा (एनएससीएन)-आईएम ने नगालैंड के लिए अलग झंडे एवं संविधान की मांग की। केंद्र की ओर से यह मांग ठुकरा दी।