शास्त्रों में ज्येष्ठ मास का काफी अधिक महत्व है।
क्योंकि इन माह में सबसे बड़े दिन होते हैं। इसके साथ ही इसी माह में भगवान श्री राम की मुलाकात उनके परमभक्त हनुमान जी से हुई थी। इसी कारण इस माह में भगवान बजरंगबली की पूजा करने का विधान है। हिन्दू पंचांग के मुताबिक 20 मई 2023, शनिवार से ज्येष्ठ मास का शुक्ल पक्ष आरंभ हो चुका है। ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष के बारे में शास्त्रों में बताया गया है कि ज्येष्ठ मास भगवान विष्णु के प्रिय मास में से एक है। ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष में जल से जुड़े हुए दो बड़े पर्व आते हैं। ज्येष्ठ माह में जल की पूजा और जल का दान विशेष महत्व रखता है। इस माह में सूर्य का तेज अधिक होता है, इसलिए जल का दान करते हैं। ज्येष्ठ के शुक्ल पक्ष में विनायक चतुर्थी, स्कंद षष्ठी, गंगा दशहरा, निर्जला एकादशी या भीमसेनी एकादशी, गुरु प्रदोष और ज्येष्ठ पूर्णिमा जैसे व्रत और पर्व आने वाले हैं। आइए जानते हैं ये व्रत और त्योहार कब और किस दिन हैं और इनका क्या महत्व है।
ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष 2023 व्रत और त्योहार
23 मई,मंगलवार: ज्येष्ठ विनायक चतुर्थी
विनायक चतुर्थी का व्रत 23 मई मंगलवार को है। शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी व्रत होता है। इस व्रत में चंद्रमा का दर्शन करना वर्जित है। विनायक चतुर्थी की पूजा दिन में संपन्न कर ली जाती है।
25 मई, गुरुवार: स्कंद षष्ठी
ज्येष्ठ माह की स्कंद षष्ठी 25 मई गुरुवार को है। हर माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को स्कंद षष्ठी का व्रत रखते हैं और भगवान कार्तिकेय की पूजा करते हैं। यह व्रत दक्षिण भारत में प्रसिद्ध है।
30 मई,मंगलवार: गंगा दशहरा
गंगा दशहरा 30 मई मंगलवार को है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार,ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मां गंगा का पृथ्वी पर अवतरण हुआ था,इसलिए इस दिन को गंगा अवतरण दिवस भी कहते हैं। गंगा दशहरा पर मां गंगा की पूजा करने से पाप मिटते हैं और मोक्ष मिलता है।
31 मई,बुधवार: निर्जला एकादशी व्रत
निर्जला एकादशी इस साल 31 मई को है। इस व्रत में अन्न और जल का सेवन वर्जित है। इस व्रत को करने से सभी एकादशी व्रतों का पुण्य मिलता है और मोक्ष प्राप्त होता है।