प्रत्येक महीने के अंत में एक पूर्णिमा आती है. लेकिन इस वर्ष सावन में दो पूर्णिमा का संयोग बन रहा है. ऐसे में लोग असमंजस में हैं कि दान-स्नान या रक्षा बंधन वाली पूर्णिमा तिथि कौन सी है.
सावन की पहली पूर्णिमा तिथि अधिक मास में लग रही है, इसलिए इसे सावन अधिक पूर्णिमा कहा जा रहा है. सावन अधिक पूर्णिमा 1 अगस्त को पड़ रही है. हिंदू पंचांग के मुताबिक, सावन अधिक पूर्णिमा तिथि 1 अगस्त दिन मंगलवार को प्रातः 03.51 बजे से लेकर देर रात 12.01 बजे तक रहेगी.
सावन माह की दूसरी पूर्णिमा 30 अगस्त दिन बुधवार को है. सावन माह की पूर्णिमा तिथि 30 अगस्त को प्रातः 10.58 बजे से लेकर 31 अगस्त दिन बृहस्पतिवार को प्रातः 07.05 बजे तक रहेगी. ऐसे में श्रावण पूर्णिमा व्रत 30 अगस्त को होगा तथा स्नान-दान 31 अगस्त को किया जाएगा. रक्षा बंधन का त्योहार प्रत्येक वर्ष श्रावण पूर्णिमा को मनाया जाता है. चूंकि सावन में इस बार दो पूर्णिमा पड़ रही है, इसलिए त्योहार की तिथि को लेकर भी लोग असमंजस में पड़ सकते हैं. रक्षा बंधन भी 30 और 31 अगस्त दोनों दिन मनाया जाएगा. हालांकि भद्रा होने के कारण त्योहार 30 अगस्त की रात या 31 अगस्त की सुबह मनाना ही उचित होगा.
30 अगस्त को पूर्णिमा तिथि के साथ ही भद्रा काल आरंभ हो जाएगा. शास्त्रों में भद्रा काल में श्रावणी पर्व मनाना निषेध माना गया है. 30 अगस्त को भद्रा काल रात 09 बजकर 02 मिनट तक रहेगा. इस समय के पश्चात् ही राखी बांधना अधिक उपयुक्त रहेगा. राखी बांधने के लिए दोपहर का समय शुभ होता है. ऐसे में 30 अगस्त के दिन भद्रा काल कि वजह से राखी बांधने का मुहूर्त सुबह के समय नहीं होगा. उस दिन रात में ही राखी बांधने का मुहूर्त है. 31 अगस्त को श्रावण पूर्णिमा प्रातः 07 बजकर 05 मिनट तक है, इस वक़्त भद्रा का साया नहीं है. इसलिए आप सुबह-सुबह भाई को राखी बांध सकती हैं.