जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में कोई मतदाता नहीं छूट जाए, चुनाव आयोग यह सुनिश्चित करना चाहता है। इसके लिए ईसी ने डल झील में 3 तैरते मतदान केंद्र बनाने का फैसला लिया है। साथ ही नियंत्रण रेखा पर भी एक मतदान केंद्र स्थापित करेगा जोकि अपने आप में बेहद खास होगा।लओसी पर बनाया जाने वाला पोलिंग बूथ विशेष रूप से अनुसूचित जनजाति के लिए है, क्योंकि यहां 100 प्रतिशत आबादी अनुसूचित जनजाति की है।
जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के तारीखों की घोषणा हो चुकी है। मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने कहा कि इन अनूठे मतदान केंद्रों की स्थापना का उद्देश्य गैर पहुंच वाले इलाकों तक संपर्क सुनिश्चित करना है। डल झील में बने तीन तैरते मतदान केंद्रों तक मतदान दल को नावों और शिकारों से ले जाया जाता है। कुमार ने बताया कि तीनों मतदान केंद्रों में से एक केंद्र ‘खार मोहल्ला आबी करपोरा’ में केवल 3 मतदाता हैं। गुरेज विधानसभा क्षेत्र में कोरागबल मतदान केंद्र भारतीय और पाकिस्तानी क्षेत्रों के बीच नियंत्रण रेखा पर स्थित है।
सीमारी कुपवाड़ा जिले का पहला मतदान केंद्र
राजीव कुमार ने कहा, ‘यह मतदान केंद्र विशेष रूप से 100 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति (ST) आबादी के लिए है। लोकसभा चुनाव में इस मतदान केंद्र पर 80.01 प्रतिशत मतदान हुआ था। सीमारी कुपवाड़ा जिले का पहला मतदान केंद्र है। मुख्य चुनाव आयुक्त कुमार ने शुक्रवार को कहा कि रसद और सुरक्षा चुनौतियों के बावजूद यहां लगातार उच्च मतदान प्रतिशत रहता है। यह वाकई उत्साह बढ़ाने वाली चीज है।
जम्मू-कश्मीर में एक दशक के बाद विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। यहां 18 सितंबर से एक अक्टूबर के बीच तीन चरणों में मतदान होगा। नतीजे 4 अक्टूबर को घोषित किए जाएंगे। यहां विधानसभा की 90 सीट हैं। 18 सितंबर को पहले चरण में 24 सीट पर मतदान होगा, जबकि 25 सितंबर को दूसरे चरण में 26 और 1 अक्टूबर को तीसरे चरण में 40 सीट पर चुनाव होंगे। जम्मू-कश्मीर में पिछला विधानसभा चुनाव नवंबर-दिसंबर 2014 में 5 चरणों में हुआ था।