मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में नई सरकारों के गठन की कवायद में जुटा भाजपा नेतृत्व मुख्यमंत्रियों के साथ मंत्रियों के नामों पर भी विचार कर रहा है। तीनों ही राज्यों में पार्टी के कई वरिष्ठ नेता चुनाव जीते हैं।
इनमें कुछ नेता केंद्रीय राजनीति को छोड़कर पहली बार राज्यों की राजनीति में आए हैं। पार्टी की कोशिश है कि मुख्यमंत्री कोई भी हो, लेकिन चुनाव जीते राज्य के सभी बड़े नेता सरकार में शामिल हों।
बीते रविवार को विधानसभा चुनाव नतीजे आने के बाद से भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व तीनों राज्यों में नए नेताओं के नाम तय करने की कवायद में जुटा है। इस दौरान पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृह मंत्री अमित शाह से राज्यों के कई प्रमुख नेताओं ने मुलाकात भी की है। विधायक चुने गए सभी केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों ने सरकार एवं संसद की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। इससे साफ हो गया है कि वह अब राज्यों की राजनीति में ही रहेंगे।
मध्य प्रदेश में तीन वरिष्ठ नेता नरेंद्र सिंह तोमर, प्रह्लाद पटेल एवं कैलाश विजयवर्गीय चुनाव जीते हैं। इनमें से तोमर और विजयवर्गीय तो शिवराज की सरकार में रह चुके हैं। पटेल भी लगभग समकक्ष हैं। इनमें किसी के भी मुख्यमंत्री बनने पर इन नेताओं को सरकार में काम करना मुश्किल नहीं होगा, लेकिन अगर कोई और इनसे कनिष्ठ नेता मुख्यमंत्री बनेगा तो संभवत: वह बतौर मंत्री काम करने के लिए तैयार न हों। राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी केंद्र से राज्य की राजनीति में गए नेताओं के सामने ऐसी दुविधा आ सकती है।
एकजुटता का संदेश देने की कवायद
सूत्रों के अनुसार, केंद्रीय नेतृत्व ने सभी वरिष्ठ नेताओं से चर्चा के दौरान साफ किया है कि उनको भावी भूमिका के लिए तैयार रहना चाहिए। चाहे वह नेतृत्व की हो या राज्य सरकारों में काम करने की। क्योंकि, अगला मिशन 2024 है और लोकसभा में बड़ा लक्ष्य हासिल करना है। ऐसे में जनता में पूरी तरह से एकजुटता का संदेश जाना चाहिए।
गौरतलब है कि जब महाराष्ट्र में शिवसेना में टूट के बाद सरकार बनी थी, तब पूर्व में मुख्यमंत्री रहे देवेंद्र फडणवीस को उप मुख्यमंत्री बनने के लिए तैयार किया गया था। अब तीनों राज्यों के वरिष्ठ नेताओं को भी संदेश है कि वह राज्य सरकारों में किसी भी भूमिका के लिए तैयार रहें।