अरुणाचल प्रदेश में भारतीय सीमा पर चीन के गांव बसा देने से जुड़ी खबरों को लेकर कांग्रेस ने नरेंद्र मोदी सरकार से सफाई मांगी है। दरअसल चीन के भारतीय क्षेत्र में एक नया गांव बसाने को लेकर विदेश मंत्रालय और प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) बिपिन रावत ने अलग-अलग बायन दिए हैं।
इसी को लेकर कांग्रेस की ओर से सवाल उठाए गए हैं। कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा है कि हर किसी के अलग बयान से चीजों को लेकर भ्रम पैदा होरहा है, ऐसे में नरेंद्र मोदी इस पर सफाई दें।
रणदीप सिंह सुरजेवाला ने ट्वीट करते हुए लिखा है- भारत के विदेश मंत्रालय का कहना है कि हम चीन के अवैध कब्जे को कतई स्वीकार नहीं करेंगे। वहीं सीडीएस ने चीन को क्लीन चिट दे दी है। इससे पहले प्रधानमंत्री ने सर्वदलीय बैठक में कहा था कि हमारे क्षेत्र में किसी ने कोई घुसपैठ नहीं की है। इसके बाद रक्षा मंत्रालय ने देपसांग-गोगरा पर चीन के साथ 13 दौर की बातचीत भी की है। आखिर हो क्या रहा है, क्या मोदी सरकार सच बताएगी?
क्या है मामला
यूएस डिपार्टमेंट ऑफ डिफेंस ने हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की थी, जिसमें कहा गया था कि चीन ने अरुणाचल से सटे इलाकों में गांव बसा दिए हैं। अमेरिकी रक्षा विभाग ने रिपोर्ट में कहा है कि एलएसी के पूर्वी सेक्टर में चीन ने तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र और भारत के अरुणाचल प्रदेश के बीच विवादित क्षेत्र में एक बड़ा गांव निर्मित किया है। जिसकी तस्वीरें भी सामने आई हैं।
विदेश मंत्रालय ने कब्जा माना, सीडीएस ने नकारा
चीन के सीमा पर कब्जे को लेकर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने गुरुवार को कहा, हमने अमेरिकी संसद को सौंपे गये अमेरिका के रक्षा विभाग की रिपोर्ट का संज्ञान लिया है, जो भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में, खासतौर पर पूर्वी सेक्टर में चीनी पक्ष द्वारा निर्माण गतिविधियों का संदर्भ देती है। चीन ने पहले भी सीमा से लगते क्षेत्र में निर्माण कार्य किए हैं जिसमें दशकों के दौरान अवैध रूप से कब्जा किया गया क्षेत्र शामिल है। भारत ने अपनी जमीन पर चीन द्वारा ना तो किसी अवैध कब्जे को स्वीकार किया है और ना ही चीन के अनुचित दावों को स्वीकारा है।
गुरुवार को ही सीडीएस बिपिन रावत ने कहा कि चीन के भारतीय क्षेत्र में नया गांव बनाने की बात सही नहीं है। चीन ने एलएसी की भारतीय ‘अवधारणा’ का उल्लंघन नहीं किया है। जिस गांव के बारे में बात की ज रही है, वो गांव वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के उस पार चीन के क्षेत्र में है।