भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) जल्द ही नया ऐतिहासिक मील का पत्थर स्थापित करने वाला है। अब मंगल ग्रह पर रोवर और हेलीकॉप्टर उतारने का टारगेट है। इस प्रयास में अब तक केवल अमेरिका और चीन को ही सफलता मिली है।
ऐसे में अंतरिक्ष की दुनिया में बड़े खिलाड़ी के रूप में भारत अपनी पहचान बनाएगा। इसरो के इस नए प्रोजेक्ट का नाम मंगलयान-2 रखा गया है। नेशनल टेक्नोलॉजी डे पर स्पेस एप्लीकेशन सेंटर में इस बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। यह अपने आपमें अभूतपूर्व मिशन है, जिसे इसरो की ओर से डेवलप भारत के सबसे भारी रॉकेट- लॉन्च व्हीकल मार्क-III (LVM3) का इस्तेमाल करके सतह से लॉन्च किया जाएगा।
रिपोर्ट के मुताबिक, एयरबैग और रैंप जैसे पारंपरिक तरीकों को अलविदा कहने का यह समय है। इसरो का रोवर एडवांस्ड स्काई क्रेन के जरिए मंगल ग्रह पर लैंड करने के लिए तैयार है। इसे नासा के रोवर लैंडिंग से प्रेरणा लेते हुए तैयार किया गया है। यह सिस्टम चुनौतीपूर्ण हालात के बीच भी सुरक्षित और सटीक लैंडिंग सुनिश्चित करता है। इसके जरिए रोवर को मंगल ग्रह के इलाके में सह ढंग से उतारा जाएगा। इसके अलावा, ISRO सुपरसोनिक पैराशूट डेवलप कर रहा है, जो इस बड़े मिशन की सफलता के लिए जरूरी है।
PSLV के लिए नए तरल रॉकेट इंजन का गर्म ट्रायल
इसी कड़ी में, पीएसएलवी को ऊर्जा देने के लिए नए तरल रॉकेट इंजन का गर्म परीक्षण हाल ही में सफल रहा था। सिंगल पीस रॉकेट इंजन 97 प्रतिशत कच्चे माल की बचत करता है और उत्पादन समय को 60 प्रतिशत तक कम करता है। इसका निर्माण एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग तकनीक के माध्यम से किया गया था। तमिलनाडु के महेंद्रगिरि में इसके लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम सेंटर में इसका सफल ट्रायल किया गया। यह प्रक्षेपण वाहन की क्षमता बढ़ाने में डिजाइन और विनिर्माण सफलता का प्रतीक है। 9 मई, 2024 को 665 सेकंड की अवधि के लिए एएम तकनीक से निर्मित तरल रॉकेट इंजन के सफल गर्म परीक्षण के साथ बड़ा मील का पत्थर हासिल किया।